मन्दसौर : नियमों का पालन कर प्रभु भक्ति करें-संत श्री ज्ञानानंदजी महाराज केशव सत्संग भवन में चल रहे है चातुर्मासिक प्रवचन

मन्दसौर । संत श्री ज्ञानानंदजी ने कहा कि हर व्यक्ति अपने मन को प्रभु भक्ति में लगाना चाहता है लेकिन सभी यही कहते है कि हमारा मन इधर उधर भटकता रहता है प्रभु भक्ति में स्थिर नहीं रहता इसका प्रमुख कारण यह है कि हम प्रभु भक्ति के नियमों का पालन नहीं करते है। प्रभु भक्ति के लिए सर्वप्रथम स्वयं के शरीर शुद्ध करना चाहिए जिस आसन पर हम बैठकर प्रभु भक्ति करते है वह पवित्र शुद्ध होना चाहिए। सुखासन की मुद्रा में भक्ति करना चाहिए। रीढ़ की हड्डी सीधी होना चाहिए जिसे मेरुदण्ड भी कहते है और मस्तिष्क के बीच वाले हिस्सा से ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। भक्ति करने के लिए बहुत ज्यादा ऊपर नहीं बैठना चाहिए संभव हो जहां तक जमीन पर ही बैठना चाहिए। नियमों का पालन कर प्रभु भक्ति करोगे तो मन प्रभु भक्ति में लग जायेगा और इधर उधर नहीं भटकेगा।संत श्री ने उक्त उद्गार खानपुरा स्थित केशव सत्संग भवन में आयोजित धर्मसभा में कहे। आपने कहा कि इस संसार में प्रभु से अधिक सुन्दर कोई नहीं है। भगवान के एक – एक अंग का ध्यान करना चाहिए। इससे मन प्रभु भक्ति में लगता है और प्रभु की महिमा समझने में आसानी होती है। धर्मसभा में विशेष रूप से केशव सत्संग भवन के अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया, प्रहलाद काबरा, मदनलाल गेहलोत, पं शिवशंकर शर्मा, शंकरलाल सोनी, प्रहलाद पंवार, प्रवीण देवडा, कमल देवड़ा, राधेश्याम गर्ग, जगदीश गर्ग, इंजी आर सी पाण्डेय उपस्थित रहे।