फीडबैक के मामले में थोड़ी और तैयारी की जरूरत है- मुख्यमंत्री

इन्दौर ।  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर कहा कि जनता के फीडबैक के मामले में थोड़ी और तैयारी की जरूरत है। मेट्रो ट्रेन के 60 टन कोचों के आज शाम सड़क मार्ग से इंदौर पहुंचने की उम्मीद है।
शहर के प्रथम नागरिक पुष्यमित्र भार्गव राजनीति में भले ही नवोदित हों, वकालात के पुराने खिलाड़ी हैं। इसका नजारा गत दिनों इंदौर विमानतल पर दिखा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर कहा कि जनता के फीडबैक के मामले में थोड़ी और तैयारी की जरूरत है। अब मुख्यमंत्री के सामने कइयों की आवाज नहीं निकलती, लेकिन हाजिर जवाब महापौर ने अपना जबाव पेश करने में देर नहीं की। कहा कि जितने फीडबैक की जरूरत है, उससे ज्यादा आ चुके हैं। वहां मौजूद लोगों में चर्चा चल पड़ी कि महापौर बनने के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता पद से भले इस्तीफा दिया हो, लेकिन वकील साब तर्क रखना भूले नहीं हैं। खैर, मुख्यमंत्री ने भी मंच से महापौर की तारीफ की, लेकिन फीडबैक का मुद्दा उठाया ही क्यों? इसके मायने राजनीति के पंडित तलाश रहे हैं।
लोकतंत्र के पर्व की तैयारी के लिए पार्टियों ने भी तैयारियां प्रारंभ कर दी हैं। लंबे समय से सत्ता के सुख से दूर कांग्रेस ने कुछ समय पहले जो सक्रियता दिखाई, अब नजर नहीं आती। वहीं भगवा ब्रिगेड ने अचानक गतिविधियां बढ़ाकर सबको हैरत में डाल दिया है।
पहले टिकट घोषित कर चुनावी पंडितों को भी अचरज में डाल दिया और इसके बाद गुजरात से विधायक बुलाकर कार्यकर्तार्ओं के कानों में गुजरात माडल पर जीत का मंत्र भी फूंक दिया। इन गतिविधियों से चुनाव में कितना फर्क पड़ेगा, यह तो भविष्य बताएगा, लेकिन फिलहाल भगवा ब्रिगेड चचार्ओं में आ गई है। कार्यकर्ता खुश है कि किसी भी बहाने उसकी पूछपरख बढ़ गई। कांग्रेसी खेमा खामोश नजर आ रहा है। वैसे भी कांग्रेसी नेता संगठन के आंदोलनों में कम और अपनी कवायद में ज्यादा व्यस्त नजर आते हैं।
खेलों के प्रति गंभीरता की जरूरत
यूं तो खिलाड़ी रोज ही मैदान पर जुटते हैं, लेकिन 29 अगस्त का दिन खास होता है। यह दिन खेल दिवस के रूप में मनाने की परंपरा है। परंपरा टूटे न इसलिए खिलाड़ी और खेल संगठन के पदाधिकारी जिम्मेदारी निभाने मैदानों पर जुटे। अधिकांश खेल संघ के प्रमुख की कुर्सी किसी न किसी नेताजी के पास है। मगर खिलाड़ियों और खासकर खेल मैदानों की जमीनी हकीकत किसी से छिपी नहीं है। अब तो शहर में मैदान भी सिकुड़ते जा रहे हैं। कुछ को छोड़ दें तो बड़ी संख्या ऐसे नेताओं की है, जिनकी खेल गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी नहीं होती। खेल संगठन से जुड़े लोग जैसे-तैसे गतिविधियां चलाते हैं, आगे भी चलाएंगे। ऐसे ही खेल चलते हैं और हर साल खेल दिवस भी मनते हैं। खेलों के प्रति जिम्मेदारों को गंभीरता दिखाना होगी।
दावेदारों का सांसे फूली
कांग्रेस चुनावी परिणाम के लिहाज से मुश्किल सीटों को लेकर लंबे समय से मंथन कर रही है। मगर भाजपा द्वारा विधानसभा चुनाव की पहली सूची जारी कर दी गई। कांग्रेसी खेमे से भी जल्द ऐसी ही कवायद चर्चा थी, लेकिन गुटबाजी के चलते सूची भी टलती रही।
मगर अब फिर दावेदारों की सांसें ऊपर-नीचे होने लगी हैं। कारण है भोपाल में दिल्ली दरबार से भेजे गए दो चेहरे। मप्र कांग्रेस के नवनियुक्त प्रभारी रणदीप सूरजेवाला और स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन भंवर जितेंद्र सिंह ने सितंबर के पहले सप्ताह में शहर और जिला अध्यक्षों को फीडबैक देने बुलाया है। अब कांग्रेस में संगठन कितना प्रभावी है यह किसी से छिपा नहीं मगर शहर और जिला अध्यक्षों की पूछपरख बढ़ गई है। दावेदारों ने अपने राजनीतिक आकाओं के दरबार में चक्कर लगाना शुरू कर दिए हैं। अब किसे टिकट का प्रसाद मिलता है, यह वक्त बताएगा।