सात दिवसीय पुस्तक मेले का उद्घाटन सम्पन्न
ज्ञान की बात होगी तब उज्जयिनी के गुरू सान्दीपनि आश्रम की याद आयेगी -उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.यादव
उज्जैन । शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के राष्ट्रीय पुस्तक न्यास एवं जिला प्रशासन उज्जैन के सहयोग से दशहरा मैदान में सात दिवसीय राष्ट्रीय पुस्तक मेले का उद्घाटन उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव, सांसद अनिल फिरोजिया, राष्ट्रीय पुस्तक मेला न्यास के अध्यक्ष मिलिन्द सुधाकर मराठे, विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति अखिलेश कुमार पाण्डेय, मप्र हिन्दी ग्रंथ अकादमी के निदेशक अशोक कड़ेल, नगर निगम सभापति कलावती यादव की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने कहा कि ज्ञान की बात होगी तब उज्जयिनी के गुरू सान्दीपनि आश्रम की याद आयेगी। उन्होंने कहा कि उज्जैन की पहचान भगवान महाकाल, मोक्षदायिनी शिप्रा से है, परन्तु ज्ञान, विज्ञान, पुरुषार्थ, संस्कृति की शिक्षास्थली गुरू सान्दीपनि आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण, भाई बलराम एवं सखा सुदामा के साथ शिक्षा ग्रहण से भी उज्जयिनी पहचानी जाती है।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने कहा कि जब भी ज्ञान की बात आयेगी, तब उज्जयिनी के गुरु सान्दीपनि आश्रम की याद आयेगी। ज्ञान के बल पर ही आज हमारा देश चांद पर पहुंचा है और सफलता का झंडा लहराया है। हमारे देश के वैज्ञानिकों के इस सफल प्रयोग से हमारी पहचान विश्व में बनी है। हमारा देश प्रगति की ओर अग्रसर है और कुछ समय के बाद बहुत कुछ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ऊंचाई पर पहुंचने का कार्य करेगा। प्रकृति में कई रहस्य छुपे हैं। अच्छी पुस्तकें पढ़ने से हमारा जीवन सफल होता है। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.यादव ने राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष से अनुरोध किया कि उक्त पुस्तक मेला प्रतिवर्ष लगाया जाये।
सांसद अनिल फिरोजिया ने कहा कि पुस्तकें हमारे मित्र हैं, इसलिये जीवन में सदैव अच्छी पुस्तकों का अध्ययन करते रहें। ज्ञान जीवनभर लेना चाहिये। अपने व्यस्ततम जीवन में कुछ समय निकालकर विद्याध्ययन करना चाहिये। राष्ट्रीय पुस्तक मेले के आयोजन पर आयोजक की सराहना करते हुए उन्हें हार्दिक बधाई दी। सांसद फिरोजिया ने उपस्थित छात्र-छात्राओं से आव्हान किया कि खूब पढ़ें और आगे बढ़ें। जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये ईमानदारी से पढ़ाई कर अपने परिवार, देश, प्रदेश, समाज का नाम रोशन करें। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति अखिलेश कुमार पाण्डेय ने भी इस अवसर पर कहा कि अच्छे साहित्य पढ़ने से हमारे जीवन में प्रकाश आता है। अच्छी पुस्तकें पढ़ना जीवन में महत्वपूर्ण होती है। अच्छी पुस्तकें हमारे जीवन में बहुत कुछ प्रभाव डालती है।
राष्ट्रीय पुस्तक मेला न्यास के अध्यक्ष मिलिन्द सुधाकर मराठे ने इस अवसर पर कहा कि हमारे जीवन में अच्छी पुस्तकें उजाला देती है। उज्जयिनी शिक्षा का केन्द्र है। आस्था की नगरी उज्जयिनी में शिक्षा ग्रहण करने स्वयं भगवान श्रीकृष्ण सान्दीपनि आश्रम में विद्याध्ययन के लिये आये थे। उज्जयिनी आस्था और ज्ञान दोनों का संगम है। इसी उद्देश्य के साथ उज्जैन में पुस्तक मेला लगाया गया है और यह मेला बार-बार उज्जैन में लगे, इसका प्रयास किया जाये। सभी व्यक्ति पुस्तक पढ़ें, इसलिये पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की स्थापना की गई है। पुस्तकों की दुनिया निराली है। अच्छी पुस्तकों का चयन हमारे जीवन में ज्ञान को उतारे। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास दोबारा अच्छी पुस्तकों का चयन करता है। अच्छी पुस्तकें हमारे विवेक को जागृत करती है। अच्छी पुस्तकें पढ़ने से हमारे जीवन को बदल देती है। यह पुस्तक मेला नहीं एक महोत्सव है। उन्होंने कहा कि हर स्कूल, कॉलेज में ओपन लायब्रेरी होना चाहिये। उन्होंने जनता से अपील की कि पुस्तक मेले में आकर विभिन्न पुस्तकों को देखें एवं पुस्तकों का चयन कर उनका क्रय कर पढ़ें।
अतिथियों ने पुस्तक मेले का फीता काटकर उद्घाटन किया। इस अवसर पर विवेक जोशी, रूप पमनानी, ओम जैन, शैलेंद्र कुमार शर्मा, संजय अग्रवाल परेश कुलकर्णी, शिक्षाविद, छात्र-छात्राएं, बुद्धिजीवी आदि उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि पुस्तक मेला एक सितम्बर से 6 सितम्बर तक पूर्वाह्न 11 बजे से रात्रि 8 बजे तक खुला रहेगा। मेले में 50 स्टाल लगाये गये हैं। इनमें राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत, एंजल बुक हाउस, अक्षर अनुसंधान केन्द्र, भारतीय कला प्रकाशन, सिनेमिक्स, कॉमिक्स अड्डा, एजुकेशन एण्ड साइंटिफिक एड, एकलव्य-पिटारा, लाईफ टाईम वोशवल बुक्स, मप्र हिन्दी ग्रंथ अकादमी, मेहता बुक कंपनी, निखिल पब्लिशर्स एण्ड डिस्ट्रिब्यूटर्स, नोबल डिलाईट्स स्टोर, पत्रिका प्रकाशन, प्रतियोगिता दर्पण, पुण्ययोग प्रकाशन, राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, रेडलीफ बुक्स, ऋषि प्रकाशन, संगीत नाटक अकादमी, सस्ता साहित्य मण्डल, शिवालिक प्रकाशन, श्री धूपेश्वर, श्री वैष्णवी जनरल बुक सेन्टर एवं याशिका इंटरप्राइजेस प्रतिभागी शामिल हैं।