महिदपुर : व्याख्याता चौपड़ा का निधन, अंतिम इच्छानुसार मृत्यु महोत्सव मनाया
महिदपुर । जीवन का अंतिम सत्य मृत्यु है इसे जो समझ ले उसके लिए मृत्यु भी उत्सव के समान है। कुछ ऐसा ही उदाहरण पूर्व व्याख्याता पारसमल चौपड़ा के निधन पर देखने को मिला। चौपड़ा का निधन मंगलवार को हुआ। जिन्होंने अपने परिजनों को जीवनकाल में ही मृत्यु के बाद किसी प्रकार शोक करने से मना कर दिया था।
परिजनों ने भी चौपड़ा की इच्छा का सम्मान किया। निधन के पश्चात घर पर समारोह की तरह विद्युत सज्जा देखने को मिली। सुबह सुसज्जित ट्राली में पार्थिव देह को रख अंतिम यात्रा निकाली। जिसमें बडी संख्या में समाजजनों, जनप्रतिनिधियों, प्रबुद्धजनों ने शामिल होकर श्रद्धासुमन अर्पित किए। मुखाग्नि दी। अंत में शोक सभा संपन्न हुई।
उल्लेखनीय है कि चौपड़ा बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। फिजिक्स विषय में पारंगत रहे व सन 1966 में कालापीपल में व्याख्याता के रूप में सेवा प्रारंभ की थी उनकी अध्यापन की शैली को आज भी उनके विद्यार्थी याद करते हंै। खरतरगच्छ जैन श्री संघ के सुश्रावक, तृतीय श्रेणी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष भी रहे। वहीं मरणोपरांत नेत्रदान की भी इच्छा प्रकट की थी। जिसके लिए बड़नगर से गीता भवन न्यास समिति के डॉ. जीएल ददरवाल ने अपनी टीम सहित महिदपुर पहुंचकर उनकी अंतिम इच्छा को पूर्ण किया।