खेतों में सोयाबीन की 9560 वैरायटी वेंटीलेटर पर जिले में सोयाबीन बोवनी में सर्वाधिक इसी वैरायटी का किसानों ने उपयोग किया,रकबा करीब65 फीसदी,सबसे कम 80 दिन में फसल पकने वाली किस्म

उज्जैन । यूं तो बारिश के अभाव में सोयाबीन की पूरी फसल ही बीमार हो गई है।सर्वाधिक बोई जाने वाली सोयाबीन की 9560 वैरायटी खेतों में बारिश के अभाव में वेंटीलेटर पर आ गई है।जिले में सर्वाधिक इसी वैरायटी का उपयोग किसानों ने बोवनी में किया है।सोयाबीन के कुल रकबे में से करीब 65 फीसदी से अधिक इसी वैरायटी का उपयोग जिले में किया गया है।यह वैरायटी सबसे कम समय 80 दिन में पकने वाली और करीब 10 फीसदी अधिक उत्पादन देने वाली है।

इस बार प्राक्रतिक रूप से सोयाबीन पर आपदा की सि्थति वाले ही हाल सामने आ रहे हैं।जिले में सोयाबीन फसल की बुआई का काम ज्यादातर 25-26 जून के आसपास ही रहा है।कम बारिश की आशंका के चलते किसानों ने पूर्व से ही सावधानी बरतते हुए सोयाबीन की 80 दिन में पकने वाली फसल के लिए 9560वैरायटी का चयन सर्वाधिक किया था।तत्कालीन सि्थति में बारिश का दौर बराबर रहा और उम्मीद के मान से ही वर्षा हो रही थी ।सोयाबीन की यह किस्म कम पानी और कम समय 80 दिन में फसल देने वाली है,इसी को देखते हुए इस वैरायटी का चयन जिले में सर्वाधिक किया गया था। भारतीय किसान संघ के अधिक्रत पदाधिकारी के अनुसार जिले में सोयाबीन के कुल रकबे में से करीब 70 फीसदी 9560 वैरायटी का रकबा है।पूर्व के मुकाबले बारिश कम होने की सि्थतियों को देखते हुए ज्यादातर किसानों ने इसी का उपयोग किया।इसके बाद खाद,किटनाशक,निंदाई,गुडाई सब कुछ हो चुका था।फसल अगस्त के शुरू होने तक अपनी अच्छी सि्थति में थी। अगस्त माह में जिले के कुछ क्षेत्र में ही बारिश हुई शेष क्षेत्रों में तो ओस गिरने से भी कम बारिश की हालत रही है।गर्मी और धूप से जमीन फटने की सि्थति बन गई । इस वैरायटी पर जोरदार असर इसका हुआ।सोयाबीन की फसल वैसे भी जमीन के उपरी लेयर पर अपनी जड फैलाती है।ऐसे में जमीन फटने से जडें टूट गई और पौधा पुरी तरह से आधार विहिन हो गया। इसके चलते पौधे में फूल आए ,फली की सि्थति यह बन कर रह गई की उसमें बीज ही नहीं भर पाया और पौधा पीला पड गया तने से ही उसकी यह हालत हो गई है।उनके अनुसार खरीफ की यह फसल वैसे भी वर्षा आधारित होती है। वेंटीलेटर पर आई इस वैरायटी के आगामी दो चार दिनों में बारिश होने पर थोडी बहुत बचने के आसार हैं इसके बाद अगर बारिश हुई तो यह वैरायटी पूरी तरह से ही निपट जाएगी और उत्पादन पर गहरा असर होगा9560 वैरायटी के अब कटने की सि्थति आ चुकी है।15 से 20 सितंबर के बीच इस वैरायटी की फसल कट कर मंडी में आना शुरू हो जाती है।। अधिक्रत सुत्रों के अनुसार अन्य वैरायटी भी बारिश न होने से प्रभावित हो रही है फसल के हरे पत्ते सूखने लगे हैं।

किसान संघ मुख्यमंत्री को अवगत करवाया-

शनिवार को अपने प्रवास पर उज्जैन के बडनगर आए प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष दशरथ पंड्या के साथ पदाधिकारियों ने जिले में सोयाबीन फसल की हालत से अवगत करवाते हुए ज्ञापन सौंपा है।ज्ञापन में बताया गया है कि विगत एकमाह से बारिश नहीं होने से सोयाबीन की फसल की फ़लिया सूखकर ज़मीन पर गिर गई है। फसल को भारी नुक़सान हुआ है आर बी सी की धारा 6.4 के तहत राहत राशि देकर फसल बीमा की राशि किसानों को दी जाये। मध्यप्रदेश प्याज लहसुन के मुख्य उत्पादक प्रदेशों में से एक है विगत तीन वर्षो से यहां के किसानों को प्याज लहसुन की लागत भी नही मिली इस वर्ष कुछ भाव मिलना शुरू हुए और केंद्र सरकार ने प्याज पर 40% निर्यात शुल्क लगा दिया जिससे भाव में काफी कमी आ गई।अतः प्याज पर से निर्यात शुल्क हटाया जाए और लहसुन का आयात बंद किया जाए। नर्मदा सिंचाई परियोजना से उज्जैन जिले के कई क्षेत्र अभी भी वंचित है इन गांव में वाटर लेवल काफी कम है अत: इन्हें जोड़ा जाए। इन गांव की सूची जिला प्रशासन को उपलब्ध करवाई जा चुकी है। सिंचाई के लिए बिजली की सप्लाई का समय जो 7 घंटे किया गया है उसे पूर्ववत 10 घंटे किया जाए।

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