आर्थिक विकास के लिए नाइट कल्चर जरूरी, इसमें नशाखोरी ठीक नहीं

 इंदौर ।  इंदौर के भविष्य के लिए चिंता करना, हम सभी का दायित्व है। पहले देश कृषि प्रधान था, किंतु अब औद्योगिक उत्पादन, सर्विस क्षेत्र और आइटी में बहुत तेजी से विकास कर रहा है। इसके लिए रात्रिकालीन संस्कृति (नाइट कल्चर) जरूरी है। इससे आर्थिक विकास एवं लोगों को रोजगार के साथ आय भी बढ़ रही है। हालांकि, नशाखोरी बहुत महत्वपूर्ण विषय है। इसका विरोध करना ठीक है। नशे पर रोक लगना चाहिए, क्योंकि इसका प्रभाव स्कूल-कालेज के विद्यार्थियों में तेजी से हो रहा है।
पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर ने कहा कि इंटरनेट मीडिया द्वारा नकारात्मकता का प्रचार ज्यादा किया जाता है। सकारात्मक कार्यों को इंटरनेट मीडिया पर उतना स्थान नहीं मिलता। समाज में हमेशा कुछ न कुछ परिवर्तन होते रहते हैं, जिनमें से कुछ अच्छे लगते हैं और कुछ अच्छे नहीं लगते। रात्रिकालीन संस्कृति के नाम पर पब, नशाखोरी तथा अपराधों को ठीक नहीं माना जा सकता। उसका विरोध भी करना ठीक है। किंतु शहर के विकास व आर्थिक विकास के लिए वर्तमान परिस्थितियों में रात्रिकालीन कार्य संस्कृति जरूरी है। अत: रात्रिकालीन संस्कृति को लेकर नागरिकों की सोच में परिवर्तन की जरूरत है। साथ ही कई बड़ी और आइटी कंपनियों सहित अन्य लोगों के अनुरोध पर रात्रिकालीन संस्कृति को प्रोत्साहित किया जा रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. राजीव झालानी ने की। प्रतियोगिता के निर्णायक गरिमा दुबे व चाणक्य शुक्ला थे। इस अवसर पर मालासिंह ठाकुर, अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता, अशोक कोठारी, नेताजी मोहिते, प्राचार्य डा. प्रकाश चौधरी, मनीषा गौर सहित आदि लोग उपस्थित रहे।
यह रहे विजेता
भाषण प्रतियोगिता में इंदौर के विभिन्न स्कूलों के 20 विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया था। इसमें चमेलीदेवी विद्यालय की हिमांगी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसके साथ ही क्वींस कालेज की कामाक्षी कुमार द्वितीय और चोइथराम स्कूल माणिकबाग की काव्या आचार्य तृतीय स्थान पर रहीं। इस अवसर पर डिप्टी कलेक्टर राजेंद्र बिल्लौरे, मुरली खंडेलवाल, अमिता वर्मा, अशोक मित्तल, पराग जटाले उपस्थित रहे।बिना अध्ययन के नाइट कल्चर का विरोध हो रहा
कलेक्टर ने कहा कि नाइट कल्चर को लेकर इंटरनेट मीडिया पर की जा रही नकारात्मकता के कारण नागरिक उद्वेलित हैं। बिना अध्ययन के नाइट कल्चर से होने वाले लाभ-हानि को लेकर विरोध किया जा रहा है। दरअसल, हर शहर की एक संस्कृति होती है, जो दिन और रात के रूप में बांटी नहीं जा सकती। आर्थिक प्रगति तथा लोगों को रोजगार देने के उद्देश्य से रात्रिकालीन कार्य संस्कृति को बढ़ावा दिया जाना बहुत जरूरी है। राजीव गांधी चौराहा से विजय नगर तक हजारों दुकानें एवं कारोबारी हैं, जिनके माध्यम से रात्रिकालीन समय में काफी लाभ उठाया जा रहा है। इसके अलावा उन्होंने भाषण प्रतियोगिता के विजेताओं को एक लाख रुपये नकद पुरस्कार देने की घोषणा की।