मेरी माटी मेरा देश कार्यक्रम, अमृत वाटिका में रोपे गए औषधीय पौधे
इंदौर । प्रकृति का सम्मान ही ईश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा होगी। कहा भी जाता है कि प्रकृति भी ईश्वर है। अगर आप सच्चे ईश्वर भक्त हैं तो भगवान की बनाई इस दुनिया कि हवा, पानी जंगल और जमीन को प्रदूषित होने से बचाएं वर्तमान संदर्भों में इससे बढ़कर कोई पूजा नहीं है। जरूरत हमें स्वयं सुधरने की है, साथ ही हमें अपनी आदतों में पर्यावरण के लिए बदलाव लाना होगा। याद रहे हम प्रकृति से हैं प्रकृति हम से नहीं। यह बात उच्च शिक्षा विभाग की किरण सलूजा और प्रचार्य डा. मंजु शर्मा ने माता जीजाबाई शासकीय स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय में कहीं। वे इंदौर में मालवमंथन द्वारा मेरी माटी मेरा देश के तहत अमृत वाटिका में औषधीय पौधों का रोपण कार्यक्रम में मौजूद थी।
युवाओं को आगे आने की कही बात
इस दौरान पर्यावरणविद स्वप्निल व्यास ने कहा कि दुनिया भर में पर्यावरणीय मुद्दों पर बहस से लेकर उसे सस्टेनेबल डेवलपमेंट की शक्ल देने में युवा आगे आए हैं। ऐसे में विश्व की सबसे बड़ी युवा आबादी के रूप में भारत की भूमिका और अहम हो जाती है। वहीं जब ऐसे युवाओं में बेटियां हों तो अपेक्षा और बढ़ जाती है। क्योंकि एक मां की पीड़ा बेटी से ज्यादा कोई नहीं समझ सकता और प्रकृति तो हम सब की मां है। इसी भावना से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया, ताकि इन छोटे-छोटे औषधीय पौधों के माध्यम से वनस्पति धरोहर का संरक्षण हमारा भविष्य करे।