इंदौरियों का भोजन के स्वाद पर है सारा जोर, सेहत पर नहीं
इंदौर । इंदौर अपने खानपान के स्वाद पर भले ही कितना गर्व कर ले, लेकिन यहां का खाना हेल्दी यानी स्वास्थ्य के लिए बेहतर नहीं माना जा सकता। जिस नमकीन के चटखारों पर इंदौर को गर्व है, वही नमकीन शरीर में कई तरह के विकार पैदा करता है। एक अच्छा डाक्टर कभी नहीं कहेगा कि बेहद तीखे ऊसल के साथ पोहा या मैदे की बनी कचौरी खाना सेहत के लिए ठीक है। ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसा क्या खाया जाए, जो हमारे लिए पौष्टिक भी हो, सेहत के लिए बेहतर भी हो और स्वादिष्ट भी हो। यही समझने-समझाने के लिए देश इस बार 1 से 7 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मना रहा है। अत: हम इंदौरियों को भी अब नए सिरे से सीखना होगा खाने-पीने का सबक।
डाइटीशियन डा. पूनम विशाल ज्वेल ने बताया कि पारंपरिक भारतीय थाली सबसे बेहतर और स्वस्थ भोजन होती है। इसमें दाल, सब्जी, सलाद, रायता, चटनी, चपाती, चावल होते हैं, जो शरीर की हर महत्वपूर्ण आवश्यकता की पूर्ति कर देते हैं। चूंकि आज की माडर्न लाइफस्टाइल में अधिकांश लोग पहले की तरह शारीरिक श्रम नहीं करते, थोड़ी दूर जाने के लिए भी गाड़ियों का इस्तेमाल करते हैं, बिल्डिंग्स में लिफ्ट का प्रयोग करते हैं, ऐसे में वर्तमान में आवश्यकता है स्मार्ट ईटिंग हैबिट्स की। स्मार्ट यानी माइंडफुल खानपान की। इसका अर्थ है कि आप जरूरत से ज्यादा मात्रा में भोजन ग्रहण न करें। अपने शरीर की जरूरत के अनुसार ही भोजन लें। इसके लिए घर का भोजन श्रेष्ठ है। हर घर के भोजन में केवल बघार का अंतर रहता है, जिससे स्वाद बदल जाता है, पर भोज्य पदार्थ जैसे दाल, मौसमी सब्जियों के पोषक तत्व हमें मिल जाते हैं।
प्रकृति ने दिए हैं पांच फूड ग्रुप : प्रकृति ने हमें पांच फूड ग्रुप दिए हैं। इसमें एनर्जी गिविंग फूड, प्रोटीन रिच फूड, मिनरल विटामिन युक्त फूड, फेट्स शुगर गिविंग फूड, फाइबर गिविंग फूड आते हैं। एक संतुलित आहार के प्लान में कोशिश की जाती है कि व्यक्ति हर भोज्य समूह को अपने आहार में शामिल करे, ताकि भोजन से सभी प्रकार के मैक्रो न्यूट्रिएंट्स और माइक्रो न्यूट्रिएंट आवश्यकता अनुरूप प्राप्त हो सकें। इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च ने आहार भत्ता का एक चार्ट तय किया है, जिसमें हर व्यक्ति की उम्र, लिंग, लंबाई, वजन, पसंद, एक्टिविटी, रोग के अनुसार उस व्यक्ति को कितना भोजन ग्रहण करना चाहिए, इसकी जानकारी है।
अनपालिश्ड मोटे अनाज का करें सेवन : मोटे अनाज को अपने आहार में शामिल करना ही चाहिए। शोध के अनुसार यदि यह अनाज पालिश्ड फार्म में मिलता है, तो इसके फायदे कम मिलेंगे, इसलिए मिलेट्स या मोटे अनाज का अनपालिश्ड रूप में ही सेवन करना चाहिए, ताकि इसका स्वास्थ्य लाभ मिल सके। मोटे अनाज में काफी अच्छी मात्रा में प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, आयरन होते हैं। मोटे अनाज को भिगोकर रखा जाए, तो उसके पकने में समय कम लगता है।
इंदौर को अपने भोजन में इसलिए भी मोटा अनाज शामिल करना चाहिए क्योंकि डाक्टर भी सलाह देते हैं कि मधुमेह व दिल के मरीजों के साथ-साथ एनीमिया व मोटापा कंट्रोल करने के लिए भी लोगों को मोटा अनाज लेना चाहिए।