हमारा मन शिव संकल्प वाला हो- धर्मदेव शास्त्रीसत्य आचरण हेतु आत्मा को जागृत करें- आचार्य जीवन आर्य
उज्जैन । जो व्यक्ति नित्य प्रति संध्या उपासना नहीं करता, ईश्वर चिंतन नहीं करता, शास्त्रों में उसे शुद्र की संज्ञा दी है। ईश्वर ने हमें मानव शरीर देकर उपकार किया है। अत: हमें चाहिए कि हम वसुधैव कुटुंबकम की भावना से ईश्वर चिंतन कर बिना द्वेष के प्रेमपूर्वक बुद्धिमत्ता, सामंजस्य के साथ संसार में कार्य करें। हमारा मन शिव संकल्प अर्थात उत्तम आचरण वाला हो। मनुष्य की आत्मा सत्य असत्य को जानने वाली है परंतु हठ और दुराग्रह से मनुष्य असत्य की ओर झुक जाता है।
उक्त विचार वैदिक विद्वान आचार्य धर्मदेव शास्त्री ने आर्य समाज उज्जैन के साप्ताहिक सत्संग में व्यक्त किये। आचार्य जीवन प्रकाश आर्य ने कहा कि अगर हम सत्य की रक्षा नहीं करते तो सत्य भी हमारी रक्षा नहीं करेगा। सत्य के आचरण के लिए हमें हमारी आत्मा को जागृत करना होगा। यज्ञ आचार्य पंडित राजेंद्र व्यास ने कहा कि हमें परिवार समाज और राष्ट्र की उन्नति के लिए वेद मार्ग को अपनाना होगा। प्रारंभ में आचार्यजी के द्वारा वर्षा की कामना से वृष्टि यज्ञ के मंत्रों से विशेष आहुतियां देकर देवयज्ञ संपन्न किया गया। ईश प्रार्थना मदन लाल कुमावत ने प्रस्तुत की। भजनों की प्रस्तुति डॉ. हंसा चतुर्वेदी ने दी। मुख्य अतिथि व्याख्याता अनामिका सोनी ने भारतीय संस्कृति के विषय पर सुंदर गीत प्रस्तुत किया। इस अवसर पर जिला पंचायत उज्जैन के दीपक सोनी और योगाचार्य चंद्रप्रकाश जोशी का प्रधान सुरेश पाटीदार ने गायत्री मंत्र के उपवस्त्र से स्वागत किया गया। संचालन पूर्व प्रधान राजेंद्र शर्मा ने किया एवं आभार ललित नागर ने व्यक्त किया। वानप्रस्थी राम प्रसाद मालाकार के वैदिक जय घोष और प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस अवसर पर प्रमुख रूप से डॉ. प्रदीप चतुर्वेदी, अंबा रामजी वर्मा, महेश धाम, ओम प्रकाश यादव, जितेंद्र भावसार, नरेंद्र भावसार, आरबी यादव, नंदकिशोर टांडी, रमेश पाटीदार, अयोध्या पाटीदार, मंजुला अग्रवाल, विनीता नागर के साथ ही बड़ी संख्या में नगर के वैदिक धर्मालुजन उपस्थित थे।