रतलाम : जीवन में सुख-दुख, उतार-चढ़ाव सब आएंगे इसे चैलेंज के रूप में लें : आचार्य श्री
रतलाम । मनुष्य को तीन भूमिकाओं बचपन का भोलापन, जवानी का जोश और जुनून तथा बुढ़ापे का अनुभव में अंतिम समय तक रहना चाहिए। जीवन में यदि सत्ता, संपत्ति, पत्नी, इज्जत एक बार गई तो फिर से लौटकर आ जाएगी लेकिन समय बीत गया, तो फिर लौटकर नहीं आएगा। हमारे जीवन में कई चुनौतियां आएगी। सुख-दुख, उतार-चढ़ाव भी आएंगे, जिन्हे चैलेंज के रूप में लेना है। चैलेंज शब्द के सभी 9 अक्षरों को यदि जीवन में आत्मसात कर लिया तो जीवन की हर बाधा को पार कर जाओंगे।
यह बात आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. ने सैलाना वालों की हवेली मोहन टाकीज में 16 से 30 वर्ष के युवाओं के लिए आयोजित दो रविवारीय शिविर में कही। आचार्य श्री ने चैंलेज के 9 अक्षरों को परिभाषित करते हुए कहा कि हमे पांच इंद्रियों के साथ मन पर कंट्रोल कर रखना है। दुनिया में आगे बढ?े का विरोध नहीं है लेकिन हमें कभी किसी की लाइन को छोटा करके यह काम नहीं करना चाहिए। यहीं चैलेंज है। हमारे जीवन में आत्म विश्वास और आत्म सम्मान दोनों होना चाहिए। आचार्य श्री ने कहा कि हमें स्वयं के जीवन को मैनेज करना आना चाहिए। यदि हम यह सीख गए तो जीवन के हर लक्ष्य का हासिल कर सकेंगे। हमें स्वयं के जीवन से प्यार करना चाहिए। जीवन में निष्फलता मिले तो गलत कदम नहीं उठाए, आप मन को समझाओगे तो सफलता जरूर मिलेगी। व्यक्ति को स्वयं का लीडर होकर स्वयं का नेतृत्व करना चाहिए। गलत रास्ते पर न जाए उसके लिए समझ और शर्म दोनों का होना जरूरी है। जहां शर्म है, वहां धर्म है।
आचार्य श्री ने कहा कि हमारे जीवन में हमेशा बी पॉजिटिव, सी पॉजिटिव और स्पीक पॉजिटिव होना चाहिए। हमें अच्छा देखना, बोलना और सोचना चाहिए। इससे जीवन में बदलाव आएगा। जीवन में हमारी सोच और हमारे देखने के नजरिए का बहुत फर्क पड़ता है। जीवन में चैलेंज शब्द के इन 9 अक्षरों को आत्मसात करने वाले मनुष्य का जीवन सफल हो जाएगा और कभी निराशा और निष्फलता हाथ नहीं लगेगी।
आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा की निश्रा में सैलाना वालों की हवेली मोहन टॉकीज में आयोजित दूसरे रविवारीय चैलेंज यूथ शिविर का शुभारंभ लाभार्थी जैन सोश्यल ग्रुप मैत्री परिवार ने दीप प्रज्जवलित करके किया। इस दौरान श्री संघ के पदाधिकारियों द्वारा लाभार्थी परिवार का बहुमान किया गया। श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी के सदस्य, श्री संघ के पदाधिकारियों सहित बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं एवं युवा उपस्थित रहे।