इंदौर निगम के क्लर्क का भ्रष्टाचारी खेल- घूस देकर प्रमोशन पाया और घूस लेकर ही रुतबा बढ़ाया

कभी किराए से रहता था, फिर प्रापर्टी पर प्रापर्टी खरीदता चला गया

ब्रह्मास्त्र इंदौर । नगर निगम के लेखा विभाग का करोड़पति क्लर्क राजकुमार सालवी का भ्रष्टाचारी खेल भी लगातार परवान चढ़ता रहा। अफसर तथा अन्य जिम्मेदार सिर्फ देखते रहे या भ्रष्टाचारी समंदर में खुद भी गोते लगाते रहे। भ्रष्ट क्लर्क जो कि कभी मास्टरकर्मी हुआ करता था, उसने घूस देकर अपने आप को स्थाई कर्मचारी बनवा लिया तथा लगातार घूस लेकर अपना रुतबा बढ़ाता रहा।
सालवी कभी अस्थायी मस्टरकर्मी हुआ करता था। 1997 में ड्यूटी जॉइन की थी। 19 साल बाद 2016 में परमानेंट होने के बाद उसे प्रमोशन मिला और क्लर्क हो गया। उसके साथ नौकरी पर लगने वाले मस्टरकर्मी अभी तक अस्थायी हैं। समझा जाता है कि परमानेंट होने के लिए उसने मोटी घूस दी। ईओडब्ल्यू के छापे में यह खुलासा हुआ है। गुरुवार को टीम ने उसके ठिकानों पर छापे मारे थे, जिसमें करोड़ों की संपत्ति सामने आई थी।
नौकरी में आने के बाद सबसे पहले उसने अंबिकापुरी में घर बनाया। इस मकान से कुछ दूर ही एक और प्लॉट खरीदकर दूसरा घर बनवाया। इसे किराए पर चढ़ा दिया। बगल में एक और प्लॉट खरीदा। इसके अलावा सीता कॉलोनी में एक तो मोहता बाग की ही एक बिल्डिंग में दो फ्लैट खरीद लिए। माना जा रहा है कि अभी भी कुछ ऐसी संपत्तियां हैं जो लोकायुक्त छापे में सामने नहीं आ पाई हैं।
राजकुमार सात भाई-बहन में सबसे छोटा है। पिता पन्नालाल, नवीनचित्रा सिनेमाघर में नौकरी करते थे। उनके तीन बेटी और चार बेटे में सबसे छोटा राजकुमार सालवी है। परिवार बियाबानी के कंजर मोहल्ले में दो कमरों के घर में रहता था। पन्नालाल का विजयनगर में एक प्लॉट था। जिसे बेचने के बाद सभी बच्चों को हिस्सा दिया गया था। राजकुमार पिता के साथ ही रहता था। पिता की मौत के बाद राजकुमार पत्नी किरण को लेकर अलग हो गया। शुरुआत में एयरपोर्ट इलाके में ही किराए के घर में रहने लगा।

जीजा-साले की भी हिस्सेदारी

ईओडब्ल्यू को जानकारी मिली है कि उसने अपनी अधिकतर संपत्ति में हिस्सेदारी जीजा, साले, पत्नी और बेटे के नाम कर रखी है। वह नगर निगम में सेटलमेंट के नाम से भी मोटा कमीशन हासिल करता था। यह भी चर्चा है कि नोटबंदी के समय उसने नगर निगम के कुछ अधिकारियों के लिए रुपए भी इधर-उधर किए थे। इसकी जानकारी भी डिपार्टमेंट के पास थी। अफसरों और राजनीतिक पहुंच से वह अक्सर बचता रहा। सवाल यही है कि क्या उन अधिकारियों से भी अब पूछताछ होगी या यह मामला सिर्फ सालवी पर शुरू होकर सालवी पर ही खत्म हो जाएगा।