इंदौर में जैन संत आत्महत्या मामला- फांसी लगाने के लिए जैन संत के पास आखिर रस्सी कहां से आई..?
रात में पीएम हुआ, सुबह डोला निकला , अंतिम संस्कार
ब्रह्मास्त्र इंदौर। चातुर्मास के लिए इंदौर आए आचार्य 108 विमद सागर महाराज ने फांसी लगा ली। पाश्वनार्थ दिगंबर जैन मंदिर, नंदानगर के नजदीक धर्मशाला के कमरे में उनका शव मिला। अहम सवाल यही है कि जैन संत के पास फांसी लगाने के लिए रस्सी कहां से आई ? फिलहाल पुलिस सभी तथ्यों पर जांच कर रही है। जैन संत के शव का पोस्टमार्टम रात में ही करवा लिया गया , जिसके बाद उनके पार्थिव शरीर को एयरपोर्ट क्षेत्र के अंजनी नगर में लाया गया। जहां उन्हें संत निवास में रखा गया। रात भर लोगों की चहल-पहल रही तथा चर्चा का विषय यही रहा कि आखिर महाराज जी को ऐसी क्या समस्या थी जिसके कारण उन्हें इतना बड़ा कदम उठाना पड़ा? सुबह उनका डोला निकाला गया। जिसकी तैयारी रात में ही कर ली गई थी। अंतिम संस्कार के लिए गोमटगिरी के समीप ड्रीमवर्ल्ड के सामने एक मैदान चिन्हित किया गया।
आचार्य की मौत के बाद दिगंबर जैन समाज में शोक की लहर फैल गई। समाजजनों ने बताया कि 27 अक्टूबर को ही आचार्य नंदानगर स्थित जैन मंदिर पर विहार कर पहुंचे थे, जिसके बाद से वे यहीं रुके हुए थे।
दूसरे कमरे में जाकर लगाई फांसी
समाजजनों ने बताया आचार्य श्री मंदिर के समीप धर्मशाला के पहली मंजिल पर एक कमरे में रुके थे। वे इसी कमरे में रोजाना सामायिक भी करते थे। वहीं पास के एक कमरे में कभी-कभी साधना करने जाते थे। शनिवार को सुबह प्रवचन के बाद वे आहारचर्या पर गए, वहां से लौटकर वे सामायिक के लिए कमरे में चले गए। मगर जहां वे सामायिक करते थे उस कमरे के बजाए उन्होंने पास के कमरे में जाकर यह कदम उठाया। हालांकि उनके पास रस्सी कैसे और कहां से आई, इसकी जानकारी समाजजन को नहीं पता चली हैं।
दोपहर में करने वाले थे विहार
बताया जा रहा है कि शनिवार दोपहर को आचार्य श्री का विहार होने वाला था। वे विहार कर नंदानगर क्षेत्र से निकलकर विहार कर गुमाश्ता नगर क्षेत्र में जाने वाले थे। दोपहर में करीब 3 बजे वे विहार करने वाले थे, लेकिन अचानक उन्होंने ऐसा कदम उठा लिया, जिसने सभी को चौंका दिया। पिछले कुछ दिनों से बीमारी के चलते तनाव में रहने की बात कहीं जा रही हैं। गौरतलब है कि पयुर्षण पर्व के दौरान इंदौर में सामूहिक क्षमावाणी का आयोजन इतवारिया बाजार में किया था, जिसमें आचार्य विमद सागर महाराज भी शामिल हुए थे।
रात में अंजनी नगर लेकर पहुंचे पार्थिव शरीर
आचार्य का रात में ही पीएम करवाया गया, जिसके बाद उनके पार्थिव शरीर को एयरपोर्ट क्षेत्र के अंजनी नगर लाया गया। यहां उन्हें संत निवास में रखा गया।