हिल स्टेशन सा अहसास करवातीं इंदौर के पास धार के गंगा महादेव की वादियां
इंदौर । यदि आप इस मौसम में अभी तक किसी भी प्राकृतिक पर्यटन स्थल के सैर सपाटे पर नहीं गए हैं तो प्रकृति ने दोबारा बारिश शुरू करके आपको एक और मौका दिया है। वर्षा की दोबारा शुरूआत अपने साथ खुश होने का खूबसूरत मौका लिए आई है। इसमें आप अपनों के साथ झरनों की खूबसूरती निहारने, पर्वतों की हरियाली देखने और शहर के शोर शराबे से दूर सुकून की तलाश लिए घूमने जा सकते हैं।
शहर के आसपास कई खूबसूरत पर्यटन स्थल हैं जिसमें हरेक की अपनी अहमियत और खूबी है। ऐसा ही एक स्थान है गंगा महादेव, जो इस मौसम में प्रकृति प्रेमियों के बीच खासा लोकप्रिय बना हुआ है। इसकी वजह वहां के नजारे, झरनों के नीचे नहाने का मजा और ट्रैकिंग के शौक को पूरा करने का बहाना जो है।
इस तरह जा सकते हैं गंगा महादेव
इंदौर से गंगा महादेव जाने के लिए लोक परिवहन के साधन नहीं बल्कि निजी वाहन से ही जा सकते हैं। शहर से इसकी दूरी करीब 85 किलोमीटर है। यहां पहुंचने के लिए आपको धार की ओर जाना होगा। इंदौर-अहमदाबाद हाईवे पर धार से करीब 15 किमी दूर तिरला गांव नजर आता है। इस गांव से दाहिनी ओर सुल्तानपुर की ओर मुड़ना होता है। सुल्तानपुर से करीब चार किमी आगे जाने पर आप गंगा महादेव पहुंच जाएंगे। यह मार्ग पक्का जरूर है लेकिन संकरा भी है। इसलिए दो पहिया या छोटे चार पहिया वाहन से जाना ज्यादा सही होगा।
इसलिए सभी के लिए है बेहतर
जिन्हें ट्रैकिंग में दिलचस्पी है वे भी और जो ज्यादा नहीं चलना चाहते उनके लिए भी यह एक बेहतर जगह है। जिन्हें अध्यात्म में शांति का अनुभव होता है वे भी यहां जा सकते हैं और जो प्राकृतिक परिवेश पसंद करते हैं उनके लिए भी यह स्थान बेहतर है। जिन्हें झरने देखना पसंद है उनके लिए तो यहां 4-5 झरनों की खूबसूरती पलकें बिछाए इंतजार कर रही हैं लेकिन जो झरने का लुत्फ नहाते हुए भी लेना चाहते हैं उनके लिए भी यहां छोटे झरने हैं।मान्यता और महादेव
यह स्थान केवल अपने नैसर्गिक सौंदर्य के कारण ही नहीं बल्कि भक्ति और किवदंतियों के लिए भी प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि पांडव 12 वर्ष के वनवास के दौरान यहां आए थे और यहां बनी गुफा में रहे भी थे। इस दौरान उन्होंने यहां जो शिवलिंग स्थापित किया था वह आज भी है। दूसरी किवदंती यह भी है कि भगवान शिव के क्रोध से यहां खाई बन गई और भगवान लिंग रूप में यहां बस गए। ऐसी ही अन्य किवदंतियां यहां सुनने को मिल जाती है। यूं तो यहां वर्षभर झरने में पानी रहता है लेकिन बरसात के मौसम में उसकी धारा वृहद रूप ले लेती है और यही सुंदरता पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है।दोनों ही विकल्प हैं आपके पास
जिस स्थान पर वाहन खड़े किए जाते हैं वहां से गंगा महादेव तक पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं। एक सीढ़ियां उतरकर गुफा तक पहुंचाता है तो दूसरा रास्ता जंगल, पगडंडी, बरसाती नाले को पार करता हुए आपको मंजिल तक पहुंचाएगा। ट्रैकिंग वाला यह रास्ता करीब दो किमी लंबा है। इस रास्ते में आपको एक और शिव मंदिर के दर्शन होते हैं। इसके अलावा यहां से जब आप आगे बढ़ते हैं तो बरसाती नाला भी पार करना पड़ता है और कई झरने भी नजर आते हैं। जहां आप अपने वाहन खड़े करते हैं वहां एक तालाब है, जब वर्षा अधिक होती है तो तालाब का पानी उसकी सीमा से बाहर निकल झरने का रूप ले लेता है। यहां की वादियां और भी खूबसूरत है क्योंकि इस मौसम में बादल यहां घिर आते हैं और नजारा किसी हिल स्टेशन से कम नहीं लगता। अगर आप सीढ़ी के जरिए गंगा महादेव गुफा तक जाते हैं तो यह भी कम खूबसूरत नहीं है। करीब 25-30 सीढ़ी नीचे उतरकर इस गुफा तक पहुंचा जा सकता है। गुफा में जाने के लिए जो रास्ता मानव द्वारा बनाया गया है उसकी खास बात यह है कि यह रास्ता झरने के पीछे से होकर गुफा में जाता है। झरने की बूंदों से आधे भीगे-आधे सूखे पर्यटक उस विशाल गुफा में पहुंचते हैं जहां न जाने कब से भगवान शिव लिंग रूप में यहां विराजित हैं।
सावधानी भी है जरूरी
यूथ होस्टल एसोसिएशन के अशोक गोलाने के अनुसार यदि आप ट्रैकिंग कर रहे हैं तो बरसाती नाला सावधानीपूर्वक पार करें। अधिक वर्ष होने या नाले का बहाव तेज होने पर उस पार नहीं करें। हर झरने में नहाने का प्रयास नहीं करें। स्थानीय लोगों की मदद से यह जान लें कि जो कुंड उथला हो उसी में गिरने वाले झरने में नहाएं। नाश्ता वहां मिल सकता है लेकिन भोजन की व्यवस्था आप अपने साथ करके ही जाएं या धार में ही भोजन करें।