सुसनेर : कृमि नाशक दिवस को लेकर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया
सुसनेर । बच्चों को कुपोषण से मुक्त बनाने तथा रक्त की कमी की समस्या को दूर करने के लिए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के दौरान बच्चों को पेट में कीड़ा मारने की दवा खिलाई जाएगी। इसके लिए शिक्षक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रशिक्षण के क्रम में नवीन बस स्टेंड के समीप एनआरएलएम के भवन में पहले चरण में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को प्रशिक्षित किया।
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस को लेकर आयोजित कार्यशाला में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को कृमि दिवस के संबंध में उनकी जिम्मेदारियों के बारे में जानकारी दी, साथ ही बच्चों को एक साथ, एक ही दिन किस तरह से दवा खिलाई जाएगी, इसके बारे में भी जानकारी दी। इसके अलावा दवा के फायदे व नुकसान किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया होने पर उसके प्रबंधन आदि के बारे में जानकारी दी।
मुख्य खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजीव बरसेना ने बताया कि 12 सितंबर को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के अवसर पर 1 से 19 वर्ष तक के सभी बच्चों को कृमि नाशक दवा खिलाई जाएगी। इस दिन एक साथ आंगनवाड़ी, स्कूल आदि जगह यह दवाई खिलाई जाएगी। इस दिन छूटे हुए बच्चों को 15 सितंबर को दवाई खिलाई जाएगी। सिविल अस्पताल के बीईई प्रेमनारायण यादव, बीसीएम मुकेश सूर्यवंशी ने राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के दौरान सभी को जिम्मेदारियों के बारे में विस्तार से बताया, साथ ही अभियान की सफलता के लिए किए जाने वाले जरूरी प्रबंधन की भी जानकारी दी। इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास विभाग की सुपरवाईजर भी उपस्थित थी।
इस दवा के सेवन से वंचित रहने वाले बच्चों 15 सितंबर को मॉपअप दिवस के रूप में मनाते हुए सभी छूटे हुए बच्चों को चिन्हित कर उन्हें विद्यालयों व आंगनबाड़ी केन्द्रों पर लाकर दवा खिलाई जाएगी। देश में हर बच्चे को कृमि मुक्त करने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की एक पहल है। यह छोटी अवधि के दौरान बड़ी संख्या में बच्चों तक पहुंचने वाले बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है। विश्वभर में 836 मिलियन से अधिक बच्चों को परजीवी कृमि संक्रमण का जोखिम है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में एक से चौदह वर्ष की आयु वर्ग के 241 मिलियन बच्चे परजीवी आंत्र कृमि के जोखिम से पीड़ित हंै जिसे मृदा संचारित कृमि संक्रमण के नाम से भी जाना जाता है।