महाकाल लोक 900 मीटर का,पवित्र नगरी का क्षेत्र 500 मीटर नहीं हो सका
-स्वर्णिम भारत मंच चुनाव में उज्जैन उत्तर- दक्षिण से अपना प्रत्याशी उतारने की तैयारी में लगा
उज्जैन।धार्मिक नगरी उज्जैन को पवित्र नगरी घोषित करवाने के लिए संत प्रतीतराम रामस्नेही का पूरा जीवन उन्होंने स्वाहा कर दिया। बाद में इस जिम्मेदारी को स्वर्णिम भारत मंच ने उठा लिया।उज्जैन में महाकाल लोक 900 मीटर लंबा और करीब 450 मीटर चौडा बनाया गया।इसके विपरित पवित्र नगरी का क्षेत्र अब भी 200 मीटर है,सालों गुजरने पर भी विधानसभा में प्रस्ताव नहीं लगने से इसका क्षेत्र 500 मीटर भी नहीं हो सका है।इसे लेकर स्वर्णिम भारत मंच चुनाव में अपना प्रत्याशी मैदान में उतारने की तैयारी कर रहा है।
यह सवाल उठाया है पवित्र नगरी की मांग को लेकर सतत 2015 से आंदोलन कर रहे स्वर्णिम भारत मंच ने । मंच की और से अधिकारिक रूप से बताया गया कि प्रणम्य संत प्रतीतराम रामस्नेही के आंदोलनों को देखते हुए वर्ष 2004 में नगर सरकार की और से राज्य शासन को पवित्र नगरी के लिए 2 किलोमीटर क्षेत्र का प्रस्ताव भेजा गया था। इस पर मध्यप्रदेश शासन ने 31.10.2005 को राजपत्र में प्रदेश के 07 शहरों के साथ उज्जैन को भी श्री महाकालेश्वर मंदिर से 200 मीटर के दायरे में पवित्र क्षेत्र घोषित किया गया।इसी क्रम में नगर निगम ने 2 मई 2017 को एक पत्र जारी कर क्षेत्र में चल रहे मांस मटन के लायसेंस निरस्त कर दिए।इसके साथ ही वर्तमान नगर सरकार की और से महापौर मुकेश टटवाल के प्रयास से 04 माह पूर्व नगर निगम सदन में एक प्रस्ताव लाकर उस पर अमल किया गया।इसके तहत श्री महाकालेश्वर मंदिर मुख्य मार्ग पर ऐसी कोई गतिविधि को रोकने के लिए पहल की गई।महापौर के प्रयास पर कुछ समय तक तो नगर निगम प्रशासन ने काम किया उसके बाद मामला ठंडा पड गया।एक बार फिर से मुख्य मार्ग पर ही दुकानों का संचालन शुरू हो गया।यहां तक की महाकाल मंदिर के क्षेत्र की आसपास की बसि्तयों में पशुओं को काटने का काम जारी है।पुराने शहर के कई मुख्य केंद्रों पर शराब की दुकानें खुल गई हैं।
किसी का विरोध नहीं शहर रोजगार का मुद्दा-
मंच की और से बताया गया कि पवित्र नगरी के क्षेत्र को बढाने का मुद्दा शहर रोजगार का मुद्दा है न कि किसी के विरोध का। कुछ लोग इसे इस प्रकार से प्रचारित कर विरोध का मान रहे हैं जबकि यह सिरे से पयर्टकों एवं श्रद्धालुओं को आकर्षित करने और उनके उज्जैन में रूकने धार्मिक वातावरण में रूकने से जुडा है जिससे उज्जैन में रोजगार के अवसर और बढेंगे।वर्तमान में महाकाल क्षेत्र में ही सभी धर्म के अनुयायियों को रोजगार मिला है। पुराने शहर एवं नए शहर का एक बहुत बडा हिस्सा इससे वंचित है। यह रोजगार सिर्फ महाकालेश्वर मंदिर के आसपास रूक सा गया है। पयर्टकों एवं श्रद्धालुओं को हम अगर वैसा वातावरण देंगे तो शहर भर में इससे रोजगार की संभावनाएं बढेगी।
सर्वे हुआ लेकिन प्रस्ताव न लगने से मामला अटका-
मंच की और से बताया गया कि पवित्र क्षेत्र बढाने को लेकर सर्वे हो चुका है।नगर निगम ने 2004 में ही 2 किलोमीटर का प्रस्ताव पास कर दिया है।नगर निगम इसे लेकर राज्य शासन की और देख रहा है।विधानसभा में हमारे यहां से किसी ने वहां प्रस्ताव ही नहीं लगाया जिससे की गजट नोटिफिकेशन हो सके।
-इसे विडंबना ही कहेंगे की श्री महाकाल लोक 900 मीटर दायरे का है और पवित्र क्षेत्र 200 मीटर दायरे का है। क्षेत्र व्रदि्ध को लेकर अगर तत्काल ही कोई निर्णय नहीं लिया गया तो हम अब चुनाव में अपना प्रत्याशी मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं।शहर के उत्तर और दक्षिण दोनों क्षेत्रों को लेकर हमारी तैयारी करेंगे।हम नि:स्वार्थ भाव से उज्जैन के हित में विचार करते हुए सेवा का ही काम कर रहे हैं।
-दिनेश श्रीवास्तव,संयोजक स्वर्णिम भारत मंच,उज्जैन