हर दस दिन में जल रही डीपी, बिजली दफ्तर से लापता कर्मचारी अंधेरे में गांव
बड़नगर रोड स्थित ग्राम आकासोदा,सहित अन्य गांव की यही समस्या…
उज्जैन। सरकार भले ही ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे घरेलू बिजली देने का दावा कर रही है, लेकिन हकीकत कुछ ओर ही है। ताजा मामला बड़नगर रोड स्थित ग्राम आकासोदा, बामोरा, खेमासा, बूचाखेड़ी का है, जहां गांव में विद्युत आपूर्ति पिछले कई दिनों से बाधित है। ग्रामीणों का कहना है कि हर 8-10 दिन में गांव की डीपी जल जाती है, और ऐसे में गांव के लोगों को पैसे इकट्ठे कर खुद के खर्चे से डीपी सुधराना पड़ रही है।
सरकार भले ही ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे घरेलू बिजली देने का दावा कर रही है, लेकिन हकीकत कुछ ओर ही है। ताजा मामला बड़नगर रोड स्थित ग्राम आकासोदा, बूचाखेड़ी, खेमासा सहित अन्य गांवों का है, जहां गांव में विद्युत आपूर्ति पिछले कई दिनों से बाधित है। ग्रामीणों का कहना है कि हर 8-10 दिन में गांव की डीपी जल जाती है, जिससे गांव अंधेरे में डूब जाता है। शिकायत लेकर ग्रामीण जब विद्युत मंडल जाते हैं, तब वहां बिजली कर्मचारी नहीं मिलते। विद्युत कर्मचारी डीपी सुधारने नहीं आते हैं ऐसी स्थिति में गांव वाले वाहन में डालकर डीपी को सुधारने के लिए ले जाते हैं और डीपी सुधारने सहित लाने ले जाने का खर्च गांव वाले उठाते हैं।
ग्राम आकासोदा के ग्रामीणों का कहना है कि यह समस्या नई नहीं है, हर साल यह तकलीफ झेलना पड़ती है। जब भी शिकायत करते हैं बिजली कंपनी के अधिकारी डीपी सुधारने नहीं आते हैं, हमें ही डीपी को सुधारने के लिए लाने ले जाने की व्यवस्था करना पड़ती है इसका पूरा खर्च गांव के लोग उठाते हैं लेकिन डीपी दस पंद्रह दिन में फिर जल जाती है और कई दिनों तक पूरा गांव अंधेरे में रात गुजारता है।
बिजली गुल होने से ग्रामीणों की दिनचर्या, बच्चों की पढ़ाई लिखाई से लेकर गांव की चक्की समेत अन्य छोटे मोटे कारोबार ठप्प हो जाते हैं।
ग्रामीण ने बताया कि बिजली कंपनी में ठेकेदारों द्वारा किए गए घटिया निर्माण, डीपी रखरखाव में होने वाली गड़बड़ी के कारण यह हालात बन गए हैं कि एक डीपी दस-पंद्रह दिन में जल जाती है। शिकायत के बाद कई दिनों का इतंजार करो, या फिर ग्रामीण पैसे इकट्ठे कर खुद डीपी निकाल कर विद्युत मंडल पहुंचते हैं ग्रामीणों ने कहा कि अब हमारे बच्चे कहने लगे हैं कि पापा अब गांव छोड़कर शहर में रहने चलो, वहां बिजली तो मिलेगी। मोबाइल डिस्चार्ज होने से लोगों का काम भी प्रभावित होता है।
खराब होने पर इस तरह ले जाते हैं गांव वाले डीपी
डीपी ख़राब होने पर पूरा गांव अंधेरे में डूब जाता है और जब विद्युत मंडल के कर्मचारी उसे सुधारने नहीं पहुंचते हैं तो गांव वाले सभी ग्रामीणों से पैसे इकट्ठे कर डीपी को खोलकर एक वाहन में डालकर विद्युत मंडल ले जाते हैं और सुधरवाने के बाद वापस अपने खर्चे से गांव लेकर आते हैं यही नहीं सुधारने के भी पैसे ग्रामीण कर्मचारियों को देते हैं।