उज्जैन के हरसिद्धि मंदिर में अब हाइड्रोलिक सीढ़ियों से जलेंगे दीप
– देश के 51 शक्तिपीठों में एक है यह मंदिर
– सात दिन के अंदर मंदिर समिति लगवाएगी
दैनिक अवंतिका उज्जैन।
उज्जैन के प्रसिद्ध हरसिद्धि मंदिर में अब हाइड्रोलिक सीढ़ियों से दीपमालाएं प्रज्वलित की जाएंगी। देवी हरसिद्धि का मंदिर देश के 51 शक्तिपीठों में से एक है। इसलिए यहां देशभर से श्रद्धालु दर्शन-पूजन व खासकर मन्नत पूरी होने पर अपनी ओर से दीप मालाएं जलवाने के लिए आते हैं।
देवी हरसिद्धि का यह मंदिर अति प्राचीन है और अवंतिका के राजा रहे सम्राट विक्रमादित्य के काल से यहां परिसर में स्थित काले पत्थरों से निर्मित दो दीप स्तम्भों पर संध्या के समय आरती के दौरान दीप मालाएं जलाई जाती है।
अभी जोशी परिवार के लोग
ऊपर चढ़कर जलाते हैं दीप
वर्तमान में दोनों दीप माला के दीपकों को जलाने के लिए जोशी परिवार के लोग आते हैं। यह परिवार वर्षों से हरसिद्धि मंदिर की दीपमालाएं जलाते आ रहा है। इसमें 6 सदस्यों की टीम लगती है। जो दीप स्तंभ के ऊपर चढ़कर नीचे उतरते हुए दीप जलाते हुए आते हैं। यह नजारा ही बड़ा अद्भुत होता है। लेकिन अब मंदिर समिति ने यहां हाइड्रोलिक सीढ़ी से दीप जलाने की तैयारी कर ली है। 51 फीट ऊंचे स्तंभों में 1 हजार
11 दीप 2 हजार साल पुराने है
– कहते हैं देवी हरसिद्धि राजा विक्रमादित्य की आराध्य देवी थी।
– मंदिर में सबसे आकर्षण का केंद्र ही 2 दीप स्तंभ हैं।
– ये करीब 51 फीट ऊंचे हैं। दोनों में मिलाकर 1 हजार 11 दीपक हैं।
– इनकी स्थापना राजा विक्रमादित्य ने ही करवाई थी।
– जो कि 2 हजार साल से भी अधिक पुराने बताए जाते हैं।
– पहले नवरात्री में ही जलते था। अब सालभर रोशन रहते हैं।
– 6 लोग 5 से 7 मिनट में ही इन दीपकों रोशन कर देते हैं।
– देश भर के भक्त 15 हजार रुपए खर्च कर इन्हें प्रज्वलित करवा सकते हैं।
– इसके लिए मंदिर समिति पहले से श्रद्धालु के नाम से बुकिंग कर रसीद काटती है।
स्तंभ जलाते समय तेल से भीग जाते
हैं, हादसा रोकने के लिए हाइड्रोलिक
दीपमालाओं को जलाने का काम काफी जोखिम भरा होता है। सभी दीपकों में तेल डालते समय पूरा स्तंभ ही तेल में भीग जाता है। इससे फिसलन के कारण गिरने की आशंका तो है ही आग लगने का भी डर बना रहता है। इसे देखते हुए उज्जैन कलेक्टर कुमार पुरषोत्तम ने हरसिद्धि मंदिर में हाइड्रोलिक सीढ़ियों की व्यवस्था करने के आदेश दिए ताकि सुरक्षा बनी रहे।