जावरा : किसी की निंदा करना बेहद आसान ,पर उसके गुण या विशेषता की सराहना करना कठिन
जावरा । निंदा अर्थात दूसरों की आलोचना करना उनकी बुराई करना और किसी की अनुपस्थिति में किसी दूसरे से चुगली करना निंदा करते वक्त हम अक्सर भूल जाते हैं की जिस व्यक्ति की निंदा या बुराई हम कर रहे हैं। हो सकता है हमारी अनुपस्थिति में वह शख्स भी हमारी किसी अन्य के सामने निंदा करता हो। परंतु इन सब बातों को यदि हम जान भी ले तभी भी कभी-कभी अपनी आदत वश हम निंदा करने की आदत को सहजता से छोड़ नहीं पाते।
उक्त विचार दिवाकर भवन पर चल रहे पर्वाधि राज पर्यूषण पर्व के चतुर्थ दिवस पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए मेवाड़ गौरव प्रखर वक्ता रविंद्र मुनि महाराज साहब ने कहे आपने कहा कि निंदा करने में कई लोगों को आनंद की अनुभूति होती ।निंदा रस से बढ़कर उनके लिए कोई दूसरा नहीं है। कभी-कभी तो बिना वजह भी दूसरों की बुराई करने में उन्हें मजा आता है। किंतु निंदा करने वाले को यह बात सदैव अपने मस्तिष्क में रखना चाहिए कि निंदा करना बेहद आसान काम है ।परंतु किसी व्यक्ति के किसी भी गुण या छोटी सी छोटी विशेषता की सराहना या तारीफ करना अत्यंत कठिन कार्य है ।
किसी की तारीफ करने के लिए बहुत बडा दिल चाहिए जो हर एक के पास नहीं होता है। इस बात से हम सभी सहमत होंगे कि हम चाहे किसी की भी निंदा करते हो परंतु यदि कोई व्यक्ति हमारे सामने किसी अन्य व्यक्ति की निंदा करता है तो कहीं ना कहीं हमारे मन में उसके प्रति विश्वास और अनादर की भावना घर कर लेती है। निंदा करने वाले के सानिध्य में रहने से नकारात्मक ऊर्जा का हमारे भीतर ही संचार होता है ।
स्वयं को नकारात्मक ऊर्जा से दूर रखने के लिए हमें निंदा करने वाले लोगों से दूरी बनानी चाहिए । उपरोक्त जानकारी इंद्रमल टुकडिया एवं ओमप्रकाश श्रीमाल ने दी। धर्म सभा का संचालन महामंत्री महावीर छाजेड़ ने किया। आभार विनोद ओस्तवाल ने माना।