इंदौर, उज्जैन संभाग में सोयाबीन की फसल चौपट,भारी बारिश से खेतों में भराया पानी, सूखी फलियां हो गई खराब

इंदौर/ उज्जैन। शुक्रवार से शुरू हुई जोरदार बारिश ने जहां बीते सालों के कई रिकॉर्ड तोड़े वहीं इस बारिश से सोयाबीन की फसलों को भी नुकसान हुआ है। इंदौर के देपालपुर, सांवेर, महू, हातोद के अलावा उज्जैन के आसपास तथा ग्रामीण क्षेत्रों में भी भारी बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया है। यही हालत पूरे उज्जैन संभाग के हैं। इससे सोयाबीन की दोनों तरह की फसलों को नुकसान हुआ है। किसानों का कहना है कि अगर बारिश नहीं थमी और खेतों में जल जमाव रहा तो सारी फसलें खराब हो जाएगी। दरअसल इस बार जुलाई में तर कर देने वाली बारिश से किसानों के चेहरे खिल गए थे और फसलें लहराने लगी थी। इसके बाद अगस्त में सिर्फ 2 इंच बारिश हुई इससे अधिकांश सोयाबीन की फसलें पीली पड़ गई थी और दाने कमजोर हो गए थे। जो बची थी वह भी ट्यूबवेल या अन्य जल स्रोतों के कारण जीवित थी। इस बीच सितम्बर के पहले हफ्ते के आखिरी में बारिश शुरू हुई तो किसानों की चिंता दूर हुई कि जो फसलें बची हैं उनको जीवन मिला। ये सोयाबीन की फसलें 80 से 100 दिनों वाली थी। इस बारिश से दाने फूलने लगे थे।

इन गांवों की फसलों को नुकसान

अब शुक्रवार से लगातार हो रही बारिश से देपालपुर के माली बरोडिया, पीपल्या गांव, हिंगोनिया, रिजवाय, माली बडोदिया, पीपल्या, नैनोद, बोरसी, बिसनावदा, औरंगपुरा, धरनावद, जम्बूड़ी हप्सी के खेतों में लबालब पानी भर गया है। इनमें भी वे फसलें जो नदी, जलाशय के पास हैं उनको तो ज्यादा नुकसान हुआ है। ऐसी ही स्थिति सांवेर के गांवों की है। यहां के नारखेड़ा, जिंदा खेड़ा, रतनखेड़ी, छालिया, पाल काँकरिया, पालोदा टाकून, वसामदरा, माता बरोड सहित कई गांवों की फसलों को नुकसान हुआ है। अगर बारिश नहीं थमी तो और भी ज्यादा नुकसान होगा।

इस बार दोनों ही स्थितियां चिंताजनक

दूसरी ओर महू, बेटमा और हातोद और उसके आसपास के फसलें भी जलमग्न हैं। किसानों के अनुसार यह पहला मौका है जब सितम्बर में भारी बारिश से फसलें खराब होने की स्थिति में है। इसके पहले अगस्त में हुई कम बारिश के चलते किसानों को पहली वैराइटी की सोयाबीन का नुकसान भुगताना पड़ा था। अब दूसरी वैरायटी (100 से 120 दिनों वाली) फसलों को लेकर अच्छी उम्मीद थी लेकिन भारी बारिश ने चिंता में डाल दिया है।