पद नहीं पादुका को चुना भरतजी ने-सुलभ शांतु गुरु जी
उज्जैन । सामाजिक न्याय परिसर में चल रही नव दिवसीय श्रीराम कथा के आठवें दिवस पर श्री रामकथा मर्मज्ञ सुलभ शांतु गुरु जी महाराज ने कहा कि श्रीराम कथा विलक्षण और अनूठे चरित्रों की कथा है एक भाई परिवार के लिए वन को चला गया दूसरा भाई जब आया पता चला कि बड़े भाई मेरे लिए सब कुछ छोड़कर चले गए हैं तो वे भी तिलक की सब सामग्री लेकर वन पहुँच गए और बोलें राज्य नहीं राम चाहिए। पैसे और परमात्मा में कोई तुलना ही नहीं चुनावों की तो बात ही नहीं जो आपके चरणों में बैठता है वो आपके सिंहासन पर कैसे बैठ जाएं। आप तो परिवार का मान बढ़ा रहे हो मैं कैसे डुबा दूँ। आपका पद नहीं आपकी पादुका चाहिए। भाई से भाई का बल है भाई ही दूसरे भाई को निर्बल ना कर दे। पिता की चार संतानें हो तो वो उसके बुढ़ापे में परिस्थिति से लड़ने में काम आए नाकि आपस में ही लड़ने लगे। पिता का बल बढ़ाने की बजाए उसे दुर्बल ना कर दे।
श्री बाल हनुमान आयोजन समिति एवं करुणा आश्रय सेवा न्यास के तत्वावधान में आयोजित श्री राम कथा में सुलभ शांतु गुरुजी ने कहा कि आपने वन चरित्र सुनाते हुए बताया की सीताजी वनवास के समय रामजी के पीछे चलते चलते डर रही थी कहीं राम जी के जो पदचिन्ह बन रहे हैं उन पर हमारे पाव न पड़ जाए। पति के पदचिह्नों पर पत्नी के पदचिह्न भी न पड़ें ये पतिव्रता स्त्री का लक्षण है इतनी मर्यादा है मानस के चरित्रों में। आपने कहा समय बहुत बहुमूल्य हैं उसको केवल काटिए मत क्योंकी मृत्यु के समय जीवेषणा बहुत बढ़ जाती है। मृत्यु जब करीब आती है तो जीवन को हम जोर से पकड़ने लगते हैं। सामने खड़ी होती है तो कहते हैं एक रात का चाँद और देख लेने दो एक सुबह का सूरज, एक बार फूलों को खिलता हुआ और देख लेने दो केवल एक दिन का समय और दे दो लेकिन मिलता नहीं इसलिए जब मिला है तो उसका उपयोग करो। आयोजन समिति ने सामाजिक न्याय परिसर में प्रतिदिन सांय 4 से 7 बजे तक हो रही कथा में शहर की धर्म प्राण जनता से शामिल होने का अनुरोध किया है।