वाणिज्य अध्ययनशाला में मनाया गया हिन्दी पखवाड़ा

उज्जैन ।  वाणिज्य विषय-व्यवसाय की भाषा को हिंदी या सामान्य बोलचाल की भाषा में पढ़ाया जाए तो आर्थिक सामाजिक और व्यवसायिक क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। यह विचार हिंदी अध्ययन शाला की प्रो श्रीमती गीता नायक ने वाणिज्य अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संयुक्त तत्वधान में आयोजित हिन्दी पखवाड़े कार्यक्रम में रखें।
कार्यक्रम में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रांत संयोजक व पूर्व डीएसडब्ल्यू डॉ. राकेश ढांड मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि हस्ताक्षर हमारी पहचान है और हस्ताक्षर हमें अपनी मातृभाषा में करना चाहिए। अपनी मातृभाषा पर गर्व करें।
वाणिज्य अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र कुमार भारल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में बताया कि, विभिन्न प्रकार के शोध यह बताते है की विद्यार्थी अन्य भाषाओं की तुलना में अपनी मातृ भाषा में जल्दी समझते और सीखते हैं। यदि हमें ज्ञान के क्षेत्र में विश्व गुरु बनना है तो सभी को मातृभाषा में कार्य करना चाहिए।
इसी कार्यक्रम के अंतर्गत एक निबंध प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसका विषय था वाणिज्य विषय के अध्ययन-अध्यापन में हिंदी की उपयोगिता”। इस निबंध प्रतियोगिता में 100 से भी अधिक विद्यार्थियों ने प्रतिभागिता की।
इस अवसर पर डॉ. नेहा माथुर, डॉ. आशीष मेहता, डॉ अनुभा गुप्ता, डॉ कायनात तवर, डॉ परिमीता सिंह, डॉ नागेश पाराशर एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रुचिका खंडेलवाल द्वारा किया गया एवं आभार छात्र अभय सिंह राजावत ने माना।