तत्कालीन कलेक्टर सिंह ने तमाम खामियों के चलते हटाया था पांडे को
इंदौर । इंदौर सेवानिवृत्ति प्रवाचक अधिकारियों से जान पहचान के चलते लंबे समय तक समाधान के प्रभारी के रूप में सेवाएं देते रहे। शासन द्वारा समाधान बंद करने के बाद में कलेक्टर हेल्पलाइन के नाम से किए जाने वाले कार्य के प्रभारी बने हुए थे ।
पूर्व कलेक्टर मनीष सिंह की सख्ती के बाद उन्हें यहां से हटाया गया। अधिकारियों से जान पहचान बढ़ाने के साथ ही फिर से पद स्थापना के प्रयास में जुड़ गए हैं और आए दिन अपनी पुरानी जगह पर बैठे नजर आते हैं। कलेक्टर कार्यालय में अलग-अलग तहसील और अधिकारियों के साथ ही विभागों में बाबू के रूप में पदस्थ रहे ज्ञाननाथ पांडे सेवानिवृत्ति के बाद अधिकारियों से पहचान का फायदा उठाते हुए यहां शुरू की गई समाधान सेवा के प्रभारी बनकर लंबे समय तक फायदा उठाते रहे। शासन ने जब समाधान सेवा को समाप्त कर दिया एनआईसी के माध्यम से गठित की गई समिति द्वारा संचालित इस सेवा का नाम बदलकर स्थानीय अधिकारियों ने इस कलेक्टर हेल्पलाइन बना दिया। इस हेल्पलाइन में भी पांडे प्रभारी के रूप में लंबे समय तक पदस्थ रहे।
शासन ने जहां एक और अनलाइन सेवा आरंभ की है, जिसमे जनता को अधिक राशि देकर लंबे समय तक भटकना न पड़े । वहीं इंदौर में अभी तक इस तरह की कार्यप्रणाली चल रही है। सेवाएं लोक सेवा प्रबंधन से नहीं जुड़ी है, उनको कलेक्टर लाइन से जोड़कर एनआईसी के माध्यम से मनमाना शुल्क वसूला जा रहा है।
पूर्व कलेक्टर मनीष सिंह ने पांडे की कार्यप्रणाली देखें कर एवं उन्हें सौंपी गई जिम्मेदारी में की जाने वाली लापरवाही के चलते हटाने के निर्देश दिए थे। कलेक्टर के निर्देश पर उन्हें तत्काल हटा दिया गया। उसके बाद पांडे लगभग एक माह तक अपना पद छोड़ने को तैयार नहीं थे। वही सतत वापस आने के प्रयास में अधिकारियों के संपर्क में रहे। बाद में सिंह द्वारा दिखाई गई सख्ती पर उन्हें वहां से हटना पड़ा।