बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों देवदूत बनकर पहुंची एसडीईआरएफ टीमें लोगों को भेजा सुरक्षित स्थानों पर
उज्जैन। प्राकृतिक कहर बारिश के बाद बने बाढ़ के हालातों में लोगों की जान बचाने के लिये होमगार्ड की एसडीईआरएफ की टीमें पूरे जिले में देवदूत बनकर पहुंची। तीन दिनों तक अपनी जान जोखिम में डालकर जवानों ने लोगों के साथ मवेशियों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया। जवानों की कार्यशैली देख कलेक्टर भी प्रशंसा करने से खुद को नहीं रोक पाये।
15 सितंबर की शाम बंगाल की खाड़ी से उठा चक्रवात प्रदेश में पूरी तरह से सक्रिय हो गया। 16 सितंबर की सुबह तक शहर में पांच इंच बारिश दर्ज की गई। ग्रामीण क्षेत्र में 5 से 8 इंच बारिश होने का आंकडा सामने आया। इंदौर-देवास में भी झमाझम होती रही। जिसके बाद जनजीवन प्रभावित हो गया और पूरे उज्जैन जिले में नदी-नाले, तालाब उफान पर आने से बाढ़ के हालत बन गये। कई निचली बस्तियां, ग्रामीण क्षेत्र डूब प्रभावित नजर आने लगे। लोग जान बचाने के लिये मशक्कत करते दिखाई दिये। ऐसे में होमगार्ड की एसडीईआरएफ, डीआरसी टीमों के साथ होमगार्ड के जवान देवदूत बनकर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पहुंच गये। 16 सितंबर से लोगों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में मवेशियों की जान बचाकर उन्हे सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने का अभियान शुरू हुआ। 17-18 सितंबर को भी हालत सामान्य नहीं हुए। एसडीईआरएफ की टीमें अपनी जान जोखिम में डालकर दिन-रात लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने का काम डूब प्रभावित क्षेत्रों से करती रही। तीन दिनों में हजारों लोगों का रेस्क्यू किया गया। 19 सितंबर को हालत सामन्य होने पर जवानों ने राहत की सांस ली। तीन दिनों तक लगातार पूरे जिले में तैनात रही टीमों की कार्यशैली देख कलेक्टर कुमार पुरूषोत्तम आपदा में हमेशा तैनात रहने वाली टीमों की प्रशंसा करने से खुद को नहीं रोक पाये। बाढ़ के हालातों में किसी की जान नहीं गई। आर्थिक नुकसान जरूर हुआ है।
सुदर्शन नगर में 3 दिनों तक रहा जलभराव होमगार्ड जिला सेनानी संतोष कुमार जाट ने बताया कि बारिश के चलते सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित क्षेत्र नीलगंगा स्थित सुदर्शन नगर, एकता नगर और शांतिनगर रहे। यहां तीन दिनों तक जलभराव की स्थिति निर्मित रही। उन्होने प्लाटून कमांडर दिलीप बामनिया और हेमलता पाटीदार के साथ होमगार्ड और एसडीईआरएफ जवानों के साथ 600 रहवासियों को मोटरबोट की मदद से घरों से निकालकर सुरक्षित स्थानों तक भेजा। यहां कई लोग अपना घर छोडऩे को तैयार नहीं थे, उन्हे समझाईश के बाद बाहर निकाला गया। पूरा इलाका जलमग्न हो चुका था और बारिश नहीं थमने पर जलस्तर बढ़ता जा रहा था। 16 सितंबर को क्षिप्रा का जलस्तर बढऩे पर रामघाट के आसपास और मुम्बई वालों की धर्मशाला में भी जलभराव होने से वहां फंसे 40 यात्रियों को टीम के प्रभारी ईश्वर चौधरी के मार्गदर्शन में सुरक्षित बाहर निकाला गया। रात डेढ़ बजे बडऩगर में बिगड़े हालात 17 सितंबर की रात डेढ़ बजे बडऩगर तहसील के कई इलाको में जलभराव की खबर सामने आते ही प्लाटून कमांडर हेमलता पाटीदार अपनी टीम के साथ पहुंची और उत्सव घाट से 42, नटराज टाकिज के पीछे से 135, गणेश घाट से 47, कागदीपुरा से 23 लोगों को सुरक्षित लाइफ जैकेट और बोट की मदद से निकाला गया। बम सेठ की गौशाला में 53 गौमाता फंस चुकी थी, उन्हे भी सुरक्षित स्थानों तक लाया गया। खोप दरवाजा पर 8, शंकर बावड़ी पर 3 गोपाल गौशाला से 1 व्यक्ति के साथ मवेशियों को आपदा प्रबंधन के उपकरणों की मदद से बचाया गया। इन क्षेत्रों में टीमों ने किया गया रेस्क्यू 17 सितंबर को शहर के साथ पूरे जिले से जलभराव की खबरे सामने आती रही, लेकिन एसडीईआरएफ की टीम ने हार नहीं मानी। शक्करवासा स्वामीनारायण आश्रम से सैनिक लक्ष्मणसिंह और शोभित सक्सेना की टीम ने 22 श्रद्धालुओं को निकाला। उन्हेल के चंबल पाडलिया से गांव में पानी से घिरे 22 परिवारों के लोगों को सुरक्षित निकाला। नागदा में कई इलाकों से डीआरसी टीम के जवानों ने प्लाटून कमांडर हेमलता पाटीदार की टीम ने 80 लोगों का रेस्क्यू किया। चेतनपुरा इलाके से 42 लोगों को बाहर निकाला। नागदा के बाल हनुमान मंदिर चेतनपुरा गंदे नाले के पास हरिजन मोहल्ला, बायपास जावरा से नागदा रोड़, गफूरबस्ती, ईदगाह के पास से सैकड़ो लोगों को सुरक्षित स्थानों तक लाया गया। जिला सेनानी संतोष कुमार जाट ने बताया कि अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों की जान बचाने वाले रेस्क्यू टीम के जवानों को पुरूस्कृत किया गया है।