सप्त ऋषि पंचमी का महत्व : महिलाओं के द्वारा व्रत का विधान बताया हमारे शास्त्रों में
उज्जैन। हरतालिका तीज के दो दिन बाद और गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद शुक्ल पक्ष की पंचमी वाले दिन ऋषि पंचमी के व्रत का विधान शास्त्रों में बताया गया है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है इस दिन ऋषियों का पूजन और वंदन किया जाता है।
आज के दिन किया जाता है सप्त ऋषियों का स्मरण…..जानिए
ऋषि पंचमी कोई त्योहार नहीं है और न ही इस दिन किसी भगवान की पूजा की जाती है, बल्कि इस दिन सप्त ऋषियों का स्मरण कर श्रद्धा के साथ उनका पूजन किया जाता है। हमारे शास्त्रों में कश्यप, अत्रि, भरद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वसिष्ठ ये सात ऋषि बताए गए हैं। इन सप्त ऋषियों के निमित्त उनका स्मरण करते हुए महिलाओं के द्वारा व्रत का विधान हमारे शास्त्रों में बताया गया है।
गया कोटा स्थित सप्तऋषि मंदिर पर महिलाओं ने की ऋषि पंचमी की पूजा..
ऐसा माना जाता है कि इस व्रत के रखने से महिलाएं रजस्वला दोष से मुक्त हो जाती हैं। व्रत के साथ यदि व्रतधारी महिलाएं इस दिन गंगा स्नान भी कर लें तो उन्हें व्रत का फल कई गुणा ज्यादा मिल जाता है।अंकपत गया कोटा स्थित सप्त ऋषि मंदिर पर सुबह से ही महिलाओं की भीड़ पूजन हेतु लगी महिलाओं ने कतर में लगकर यहां सप्त ऋषि भगवान की पूजन अर्चन कर रजस्वला होने के दौरान हो गई गलतियों के लिए माफी यहां महिलाओं ने ऋषि कथा का भी श्रवण किया ।
रिपोर्ट विकास त्रिवेदी