प्रदेश में 16 दिनों बाद फिर खुली कृषि उपज मंडिया, हड़ताल खत्म
मंडी टैक्स में मिलेगी आधा प्रतिशत की राहत, मुख्यमंत्री से मिला आश्वासन
इंदौर। सोलह दिनों से जारी प्रदेश की कृषि उपज मंडियों की हड़ताल आज गुरुवार को खत्म हो गई। मुख्यमंत्री ने इंदौर में व्यापारियों से चर्चा के बाद मंडी टैक्स के साथ मंडी के नियमों भी राहत देने का भरोसा जताया। देर रात हुई इस चर्चा के बाद व्यापारियों ने भी घोषणा कर दी कि गुरुवार से हड़ताल खत्म कर मंडियों में नियमित कामकाज शुरू किया जा रहा है।
4 सितंबर से प्रदेश की सभी कृषि उपज मंडियों में सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापारी महासंघ ने हड़ताल घोषित कर दी थी। व्यापारी प्रदेश में लागू ज्यादा मंडी टैक्स के साथ निराश्रित शुल्क का तो विरोध कर ही रहे थे। मंडी गोदामों के लीज प्रकरणों के नियमों को बदलने और सरकारी प्रक्रिया में उलझाने का आरोप भी लगा रहे थे। व्यापारियों ने 11 सूत्रीय मांग के साथ अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान कर दिया था। 16 दिन से मंडी बंद थी ओर व्यापारियों के पास शासन व सरकार की ओर से किसी तरह का चर्चा का कोई प्रस्ताव नहीं पहुंचा था। बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान इंदौर प्रवास पर पहुंचे। रात को रेसीडेंसी कोठी में भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय,मंत्री तुलसी सिलावट और विधायक आकाश विजयवर्गीय ने व्यापारियों की मुख्यमंत्री से बैठक व चर्चा तय करवाई। भाजपा नेताओं के साथ बैठक में व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल, इंदौर अनाज तिलहन व्यापारी संघ के अध्यक्ष संजय अग्रवाल, मनोज काला भी मौजूद थे। चर्चा के बाद मुख्यमंत्री ने व्यापारियों से कहा कि वे मंडी टैक्स को 1.50 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत करने की सहमति देते हैं। हालांकि निराश्रित शुल्क में किसी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया। निराश्रित शुल्क पहले की तरह यथावत 0.20 प्रतिशत लागू होगा। हालांकि मंडी गोदामों के लीज प्रकरणों में राहत की बात भी मुख्यमंत्री ने मान ली। मुख्यमंंत्री ने कहा कि लीज प्रकरणों के निराकरण में नए नियम लागू नहीं होंगे। पूर्व के नियम यानी 2005 के नियमों से ही लीज प्रकरणों का निराकरण किया जाएगा। मुख्यमंत्री के दिए आश्वासनों से संतुष्ट होकर व्यापारी संघ ने घोषणा कर दी कि मंडी में जारी हड़ताल खत्म की जा रही है। गुरुवार 21 सितंबर से मंडियों में कामकाज पहले की तरह शुरू हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि 4 सितंबर से ही प्रदेशभर की मंडियों में हड़ताल जारी थी। इससे प्रतिदिन 400 करोड़ से ज्यादा के नुकसान का अनुमान जताया जा रहा था।