शासकीय कर्मचारी ने भस्मारती की परमिशन के रूपए ले लिए
– मंदिर प्रशासक रात 3 बजे निरीक्षण करने पहुंचे तो पता चला
– कर्मचारी को मौके पर बुलाया और हिदायत देकर छोड़ दिया गया
ब्रह्मास्त्र उज्जैन। महाकाल मंदिर में भस्मारती की परमिशन लेने की व्यवस्था में अब पहले से काफी कुछ सुधार हो चुका है। इसलिए अब परमिशन के नाम पर पैसे लेने के मामले लगभग खत्म हो गए है। लेकिन हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया जब एक शासकीय विभाग के कर्मचारी ने ही प्रोटोकॉल से आए श्रद्धालुओं से परमिशन कराने के नाम पर पैसे ले लिए।
यह मामला उस समय पता चला जब मंदिर प्रशासक अचानक ही रात 3 बजे भस्मारती का निरीक्षण करने पहुंचे। प्रवेश द्वार पर खड़े होकर वे कई श्रद्धालओं से पूछ रहे थे कि आपको परमिशन कैसे मिली तो एक श्रद्धालु ने बताया कि उन्हें कर्मचारी ने परमिशन दी है और इसके पैसे भी लिए है।
समिति का शुल्क 200 रुपए है पर श्रद्धालु बोले – 500 रुपए लिए
हालांकि मंदिर समिति भी परमिशन का शुल्क लेती है। लेकिन यह शुल्क प्रति श्रद्धालु 200 रुपए निर्धारित है। इसकी बकायदा रसीद दी जाती है। लेकिन श्रद्धालु ने जब यह बताया कि उनसे 500 रुपए लिए गए है तो प्रशासक ने उक्त कर्मचारी को मौके पर बुलाया और डाट-फटकार लगाते हुए उसे आगे से ऐसा नहीं करने की हिदायत देकर फिलहाल छोड़ दिया गया।
मंदिर प्रशासक ने कहा भस्मारती में निरीक्षण करने गया था
हालांकि मामले में मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ का कहना है कि वे भस्मारती में निरीक्षण करने जरूर गए थे पर किसी कर्मचारी द्वारा परमिशन के पैसे लेने की घटना से मना किया। जबकि मंदिर समिति के कर्मचारियों से लेकर कई पंडे-पुजारियों व अन्य अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है। बताया जाता है कि उक्त कर्मचारी प्रशासन के अधिकारियों से जुड़ा है। इसलिए मंदिर समिति मामले को दबा रही है।