अनर्गल आवेदन देकर महत्वपूर्ण समय खराब किया, कोर्ट ने 20 हजार रुपये हजार्ना लगाया
इंदौर । अनर्गल आवेदन देकर कोर्ट का समय खराब करने वाले पर सख्ती दिखाते हुए कोर्ट ने आवेदन निरस्त करते हुए 20 हजार रुपये हजार्ना लगाया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि यह बात सही है कि आवेदक को कानूनी प्रक्रिया की जानकारी नहीं है, लेकिन आवेदनों से कुछ भी स्पष्ट नहीं है। इनमें अनर्गल टिप्पणियां और बातें लिखी गई हैं।
आवेदक ने 80 आवेदन प्रस्तुत किए थे। इनमें से ज्यादातर उसके प्रकरण की सुनवाई किसी अन्य न्यायालय में करने की बात कही गई है। इनमें से फिलहाल दो को निरस्त करते हुए कोर्ट ने प्रत्येक पर दस-दस हजार रुपये हजार्ना लगाया है।
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश बीपी शर्मा ने ये आवेदन निरस्त किए हैं। आवेदक दीपक की ओर से इला जैन और अन्य के प्रकरण में ये दो आवेदन प्रस्तुत हुए थे। आवेदन 18 पेज के थे। कोर्ट ने कहा कि 18 पेज के आवेदन में तथ्य इतने विस्तृत लिखे गए हैं कि उन्हें पढ़कर यह पता लगाना मुश्किल है कि किस प्रकरण में किस आधार पर आवेदन प्रस्तुत किया गया है।
आवेदन पत्र की ड्राफ्टिंग और प्रस्तुत बहस से यह तो स्पष्ट है कि आवेदक को कानून का ज्ञान नहीं है। आवेदक ने आवेदन में कई ऐसी अनर्गल बातें भी लिखी हैं जिनका प्रकरण से सीधे-सीधे कोई लेना देना नहीं है। आवेदक ने सीपीसी की धारा 24 के तहत कई आवेदन प्रस्तुत किए हैं। ऐसा लगता है कि आवेदन अनावश्यक रूप से प्रकरण एक न्यायालय से दूसरे न्यायालय में अंतरित कराना चाहता है।
इससे न्यायालय का महत्वपूर्ण समय तो खराब होता ही है न्याय प्रक्रिया की जटिलता भी बढ़ती है। ऐसी स्थिति में आवेदन निरस्त किए जाते हैं। कोर्ट ने आवेदक को आदेश दिया है कि वह हजार्ने की रकम 15 दिन के भीतर जिला विधिक प्राधिकरण कार्यालय में जमा करवाए।