अलसुबह तक चला आॅल इण्डिया नशिस्त, श्रोता होते रहे मंत्रमुग्ध
उज्जैन । उर्दू शायरी के जाने माने नाम और दिल्ली से तशरीफ लाए शायर आदिल रशीद ने आॅल इण्डिया शेअरी नशिस्त में जब ये शेर नशिस्त के कन्वीनर शकील सिद्दीकी पटवारी की नजर किया तो श्रोताओं ने कर्तल ध्वनि से अपने इस मेहमान शायर का स्वागत किया। आदिल रशीद की शायरी यहीं नहीं रुकी। उन्होंने अपने अगले शेर से पूरे जलसे में जान डाल दी। ह्यतेरा खुलूस, तेरा जज्बा और सुखनफहमी। तेरी नशिस्त कई महफिलों पे भारी है। ऐसे सैकड़ों शेर भारत के विभिन्न राज्यों से आए उर्दू के ख्यातनाम शायरों से सजी महफिल में रफीक शादमानी हॉल में पढ़े गए जो उज्जैन मुशायरा कमेटी के तत्वावधान में आॅल इंडिया शेअरी नशिस्त के रूप में आयोजित की गई थी। कमेटी के कन्वीनर शकील सिद्दीकी पटवारी ने बताया कि प्राय: नशिस्त स्थानीय शायरों के साथ संपन्न होती है किंतु इस नशिस्त को अखिल भारतीय रूप देते हुए न सिर्फ़ स्थानीय शायरों को मौका दिया गया बल्कि देश के लोकप्रिय शायरों को भी आमंत्रित किया गया। ये नशिस्त इस अर्थ में ऐतिहासिक रही के एक ओर जहां शायरी की कोई भी महफिल तड़के 3 बजे तक संपन्न हो जाती है इस नशिस्त में श्रोता सुबह 7 बजे तक शायरों के रचना पाठ का रसास्वादन करते रहे और ये पता ही नहीं चला कि ये नशिस्त कब मुशायरे में परिवर्तित हो गई।