महाकाल में निकले 1 हजार साल  प्राचीन मंदिर को फिर से बनाएंगे

 

– 65 लाख रुपए खर्च आएगा,  पुरातत्व विभाग अपनी निगरानी में बनने के बाद इसे समिति को सौंप देगा

 

दैनिक अवंतिका उज्जैन। 

ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के परिसर में खुदाई के दौरान निकले प्राचीन मंदिर को फिर से बनाने की योजना पर काम चल रहा है। पुरातत्व विभाग की देखरेख में मंदिर का निर्माण होगा इसके बाद विभाग इसे महाकाल मंदिर प्रबंध समिति को सौंप देगा। इसमें करीब 65 लाख रुपए का खर्च आएगा। 

वैसे तो मंदिर परिसर के अंदर व बाहर 400 करोड़ रुपए की लागत से निर्माण कार्य चल रहे हैं। निर्माण के पहले हुई खुदाई में सबसे पहले 25 जून 2021 में यह मंदिर जमीन के नीचे दबा मिला था जो जांच के बाद अति प्राचीन निकला। मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग के आयुक्त शिवशेखर शुक्ला ने पुराविद् डॉ. रमेश यादव के नेतृत्व में पुरातत्व विभाग के चार सदस्यीय दल ने निरीक्षण के बाद इसे एक हजार साल पुराना मंदिर होना बताया था। तभी मंदिर व इसके अवशेष यहां सुरक्षित रखे हुए है। अब इसका निर्माण कराया जा रहा है। इसमें एक वर्ष का समय लग सकता है।

पुरातत्व विभाग ने खुदाई कराई तो 

शिवलिंग, नंदी व गणेश निकले थे 

पुरातत्व विभाग ने यहां मंदिर निकलने के बाद इसके आसपास विशेषज्ञों की देखरेख में खुदाई कराई तो यहां से प्राचीन शिवलिग, नंदी, गणेश, मां चामुंडा, शार्दुल की मूर्तियां प्राप्त हुई। इसके अलावा भारवाही कीचक तथा दो हजार साल पुराने शुंग, कुषाण, मौर्य व परमार काल में निर्मित मिट्टी के बर्तन भी मिले थे। अब उन सारे हिस्सों को जोड़कर प्राचीन स्वरूप में ही इस मंदिर का निर्माण का कार्य प्रारंभ होगा।

सिर दल से तय करेंगे कौन से 

देवता का है यह प्राचीन मंदिर

खुदाई में निकले यह मंदिर किस देवता का है। इसको लेकर पुरा विशेषज्ञों ने बताया कि इसमें एक सिद्धांत काम करता है जैसे कि प्राचीन मंदिर के सिर दल व द्वार शाखा पर स्थित देवता के चिन्ह से यह पता किया जाता है कि यहां कौन से देवता विराजित थे। जैसे सिर दल पर गणेश जी है तो शिव मंदिर व सिर दल पर गरूड़ जी है तो विष्णु मंदिर होता है। फिलहाल अभी तक जो अवशेष यहां से मिले हैं उससे तो यहीं लगता है कि यह शिव मंदिर ही है।

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