मंडलेश्वर : लोभ पाप का बाप होता है- मुनि प्रयोग सागर
मंडलेश्वर । मन की शुद्धता का नाम उत्तम शौच धर्म है । यह मानसिकता परमात्मा के प्रति लगाने का नाम है जो मन वचन काय से परमात्मा में आस्था रखता है ।वही व्यक्ति शौच धर्म तक पहुंच पाता है। जैन समाज अध्यक्ष समीर जैन एवं सांस्कृतिक सचिव शुभम जैन ने बताया कि पर्व के चौथे दिन प्रात: की बेला में नित्य नियम अभिषेक पूजन एवं वृहद शांति धारा की गई । प्रथम अभिषेक का सौभाग्य संतोष कुमार , अंकिश सफल जैन परिवार , लघुशंतिधारा पुन्यार्जक नीलय जैन ,रक्षित जैन ,अंतिम जैन , दिलीप जैन एवं प्रथम शांति धारा का सौभाग्य संतोष कुमार , अंकिश सफल जैन परिवार व द्वितीय बसंत जैन , प्रदुमन जैन , विनोद जैन , हेमंत जैन परिवार को मिला इस अवसर पर नगर में विराजित संत प्रवर प्रयोग सागर महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन से लोभ की गंदगी निकालने वाला और संतोष का जल लाने वाला अमृत तत्व शौच धर्म है । जिसकी छाया में सत्य,संयम समता, समाधि ,संबोधि का सुख मिलता है ।मुनि श्री प्रबोध सागर महाराज ने प्रवचन माला में कहां की जब तक तुम्हारे भीतर क्रोध, मान ,माया ,लोभ के कंकड़ ,पत्थर भर रहेंगे तब तक संत की वाणी अपने मन मस्तिष्क और हृदय परिवर्तन नहीं कर सकती । इस अवसर पर महावीर जैन , मुकेश जैन , सुलभा जैन , निधि जैन, रानी जैन , सुप्रिया जितेन्द्र जैन आदि उपस्थित थे ।