भारत छोड़ो आंदोलन की तारीख 9 अगस्त पर विवाद, पीएससी से कोर्ट ने मांगा जवाब

 

छात्रों को अंतरिम राहत
मुख्य परीक्षा में शामिल करने का दिया आदेश

इंदौर। मप्र लोकसेवा आयोग (एमपी पीएससी) द्वारा मई में आयोजित राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा-2022 में प्रश्न के उत्तर पर खड़े हुए विवाद में हाई कोर्ट से छात्रों को राहत मिली है। राज्यसेवा प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नपत्र में पीएससी ने भारत छोड़ो आंदोलन और निर्वाचन आयोग पर प्रश्न पूछे थे। पीएससी ने पहले इनके जवाबों को सही माना, लेकिन बाद में प्रश्न ही डिलीट कर इनके नंबर मूल्यांकन से हटा दिए थे।
पीएससी ने पूछा था कि भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत कब से हुई। ज्यादातर अभ्यर्थियों ने 9 अगस्त 1942 को सही उत्तर माना था। इसी तरह एक अन्य प्रश्न राज्य निर्वाचन आयोग कब अस्तित्व में आया, जिसका उत्तर छात्रों ने संदर्भ पुस्तकों के हवाले 1 फरवरी 1994 को माना था।
पीएससी ने परीक्षा के बाद जारी प्रारंभिक दौर में प्रावधिक उत्तरकुंजी में इन्हीं जवाबों को सही माना था। हालांकि जब फाइनल उत्तरकुंजी जारी की तो पीएससी ने इन दोनों प्रश्नों को सही जवाब नहीं होने की स्थिति करार देते हुए डिलीट ही कर दिया।
इसी आधार पर परिणाम भी तैयार किया गया। इसके बाद अभ्यर्थियों ने पीएससी के रवैये पर आपत्ति जताई और प्रदेश में राजनीति भी गरमा गई। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने इस पर सरकार को कठघरे में खड़ा किया था। पीएससी के खिलाफ छात्रों ने हाई कोर्ट इंदौर बैंच में याचिका दायर की थी।
एडवोकेट विभोर खंडेलवाल एवं जयेश गुरनानी ने कोर्ट में कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन 9 अगस्त 1942 को शुरू हुआ था। कोर्ट के सामने इतिहास की किताबों के साथ भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय सहित लोकसभा के भाषण को भी प्रस्तुत किया गया।