रतलाम : ब्रह्माकुमारीजी दिव्य दर्शन भवन सेवा केंद्र पर मनाया गया राष्ट्रीय बेटी दिवस
रतलाम । प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्व विद्यालय, डोंगरे नगर स्थित दिव्य दर्शन भवन सेवाकेंद्र पर राष्ट्रीय बेटी दिवस के अवसर पर सशक्त बेटी सशक्त समाज विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में महिला बाल विकास विभाग की पर्यवेक्षक बहन ज्योत्सना जी आठे ,सेवाकेंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी, ब्रह्माकुमारी गीता दीदी,गुरु तेग बहादुर स्कूल की शिक्षिका बहन भाव्या दतवानी जी तथा साथ ही 60 बेटियां उपस्थित रहे।
इस अवसर पर बी.के. सविता दीदी जी ने कहा कि साधारण कन्या भी शिव से शक्ति लेकर शक्ति स्वरूपा बन जाती है जिनका यादगार धन की देवी माँ लक्ष्मी, विद्या की देवी माँ सरस्वती, दुगुर्णों का नाश करने वाली माँ दुर्गा है, पवित्रता प्रदान करने वाली माँ गंगा एवं नर्मदा जी के रूप में आराधना व पूजन करते हैं। परंतु आज हम अपने दैवी व भारतीय संस्कृति को भूलकर पाश्चात्य संस्कृति में आगे बढ़ते जा रहे हैं जीवन के सच्चे मूल्यों को भी भूलते जा रहें हैं, अत: सशक्त बेटी अर्थात जीवन के सभी मूल्यों ईमानदारी, आज्ञाकारिता, एकाग्रता आदि जैसे गुणों को धारण कर सदा ऐसे कर्म करें जिससे सबकी दुयाएं प्राप्त हो, तभी सशक्त समाज बन सकेगा ।
ब्रह्माकुमारी गीता दीदी ने संस्कारों पर जोर देते हुए कहा कि आज बेटी सशक्त होते हुए भी धन कमाने में फैशन व प्रतिस्पर्धा में अपना सारा समय गंवा रही है, यह सभी जीवन की असली कमाई नहीं है हमें आज आंतरिक उन्नति की ओर ध्यान देना जरूरी है जो कि हमें आध्यात्मिकता से प्राप्त होता है। गुरु तेग बहादुर स्कूल कि शीक्षिका बहन भाव्या दतवानी जी ने कहा कि मेडिटेशन से हमारे इनर पावर के साथ-साथ बाह्य रूप से भी हम हर कार्य करने के लिए सक्षम होते हैं तथा आज बाहरी सुंदरता के साथ-साथ आंतरिक सुंदरता भी बहुत जरूरी है जो हमें ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा प्राप्त होता है।महिला बाल विकास की पर्यवेक्षक बहन ज्योत्सना आठे जी ने कहा कि आज बच्चे बाहर के खान-पान पर ज्यादा ध्यान देते हैं वह घर के बने भोजन तथा अनाज दालें जो हमारे शरीर को पोषक तत्व प्रदान करते हैं वह सब खाने-पीने में रुचि नहीं रखते हैं जिससे शारीरिक रूप से भी बेटियां कमजोर होती जा रही है अत: शारीरिक व मानसिक दोनों रूप से आज हमें मजबूत व सशक्त बनना है। कार्यक्रम में बेटियों ने अनेक प्रकार के गीत, कविताएं गायी, नृत्य, गरबा व करतब किये।