सुसनेर : डोल ग्यारस पर आज निकलेंगे फूलडोल
सुसनेर । डोल ग्यारस के अवसर पर आज सोमवार को नगर में फूलढोल निकाले जाएंगे। इस अवसर पर शाम 4 बजे इतवारिया बाजार से चल समारोह की शुरूआत होगी जो कि नगर के प्रमुख मार्गाें से होते हुवे, रात्रि में मउड़ी दरवाजा स्थित कंठाल नदी पहुंचेगा, जहां आरती सहित अन्य कार्यक्रम होंगे। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं इसीलिए यह परिवर्तनी एकादशी भी कही जाती है। इसके अतिरिक्त यह जलझूलनी एकादशी के नाम से भी जानी जाती है। इस दिन को व्रत करने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।क्यों मनती डोल ग्यारस
डोल ग्यारस पर्व भादौ मास के शुक्ल पक्ष के 11वें दिन मनाया जाता है। कृष्ण जन्म के 11 वें दिन माता यशोदा ने उनका जलवा पूजन किया था। पंडित गोविन्द शर्मा के अनुसार डोल ग्यारस पर भगवान विष्णु और कृष्ण के बाल रूप का पूजन विशेष फलदायी है। मान्यता है कि इस दिन माता यशोदा ने भगवान श्रीकृष्ण के वस्त्र धोए थे। इसी कारण से इस एकादशी को जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है। एक और कथा इस तरह है कि इस दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप का पूजन किया गया था यानी उनकी सूरज पूजा हुई थी। माता यशोदा ने डोल ग्यारस के दिन अपने कृष्ण को सूरज देवता के दर्शन करवाकर उन्हें नए कपड़े पहनाए थे एवं उन्हें शुद्ध कर धार्मिक कार्यों में सम्मिलित करने की योग्यता दी थी। इसी दिन भगवान कृष्ण के आगमन के कारण गोकुल में जश्न हुआ था। इस दिन उत्सव मनाने की परंपरा तभी से चली आ रही है। आज भी माता यशोदा की गोद भरी जाती है।