सबसे कम योग्यता के धनी हैं उपायुक्त दोहरे !
-धार्मिक शहर में किए गए धर्मस्थल विकास के उलझे काम नहीं सुलझ पा रहे
उज्जैन।ग्रह निर्माण एवं अघोसंरचना विकास मंडल के उपायुक्त यशवंत दोहरे शहर के धार्मिक स्थलों के उलझे विकास कार्यों को सुलझाने की बजाय खुद ही उलझन में पडे हुए हैं।कार्यालय स्टाफ का कहना है कि ये जहां भी पदस्थ रहे इनका “थ्री सी” संपर्क समन्वय एवं सहयोग कमजोर ही रहा है।ग्रह निर्माण मंडल में उपायुक्त सिविल में ये एक मात्र ऐसे हैं जो योग्यता में बी ई सिविल हैं अन्य तीन उपायुक्त इनसे कहीं अधिक योग्यताधारी हैं।
ग्रह निर्माण मंडल में आतताई की तरह खौफ फैलाकर प्रशासन करने वाले उपायुक्त के बारे में विभागीय वेबसाईट उगल रही है कि वे बी ई सिविल की योग्यता रखते हैं।उनकी प्रथम नियुकि्त 24 अप्रेल 1990 को मंडल में हुई थी ।मूल रूप से ग्वालियर के निवासी दोहरे की वर्तमान पदोन्नति 13-10-2014 को हुई ।उन्हें 03 अप्रेल 2017 को उपायुक्त बतौर इंदौर सर्किल में पदस्थ किया गया था।वहां से विभागीय निष्ठा पर प्रश्न चिन्ह लगवाकर वे उज्जैन पदस्थ किए गए हैं। मंडल की वेब साईड पर ग्रेडेशन लिस्ट 01 जनवरी 2022 के अनुसार अन्य तीन उपायुक्तों में महेन्द्रसिंह बी ई सिविल एमबीए,एस के सुमन एम ई ,बी ई सिविल एवं एनडी अहिरवार एम टेक बीई सिविल की योग्यता रखते हैं। इनमें से उपायुक्त गण सुमन,अहिरवार,एवं दोहरे की नियुकि्त 1990 में हुई है।
गयाकोठा का निर्माण कार्य अधूरा मंडल सोया हुआ-
धार्मिक शहर उज्जैन में धर्मस्थलों के विकास में सरकारी निर्माण एजेंसियों की अहम भूमिका है।इस भूमिका को अन्य प्राधिकरण एवं एजेंसियां बखूबी निभा रही है।ग्रह निर्माण मंडल के पास आए कार्यों की हालत खराब पडी है।पित्र पक्ष आने को है लेकिन सनातन धर्म में पित्र कर्मकांड के लिए प्रमुख स्थल गया कोठा का अधुरा विकास कार्य अटका पडा है। ग्रह निर्माण मंडल ने एजेंसी के रूप में इस कार्य की शुरूआत की थी।यहां करीब 11 करोड से विकास कार्य किए जाने थे लेकिन विकास कार्यों को देखने के बाद सामान्य जन भी इस राशि पर सवाल खडा करते हैं।निर्माण का स्तर देखने के उपरांत तो सामान्य जन कहने को मजबूर हो जाते हैं कि संभवत:धार्मिक स्थल विकास के नाम पर चूना लगाने का काम जारी है।