मंडलेश्वर : जिसके जीवन में संयम नहीं उसका जीवन बिना ब्रेक की गाड़ी के समान होता है -मुनिश्री प्रयोग सागरजी
मंडलेश्वर । दस लक्षण पर्व का छटवां दिन उत्तम संयम धर्म का होता है। जो की भादो मास शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है । जैन समाज अध्यक्ष समीर जैन एवं सरक्षक प्रवीण जैन ने बताया कि पर्युषण के छटवे दिन सुबह से ही अभिषेक, शांति धारा, पूजा का दौर चालू हो जाता है । नियमित पूजा में सोलह कारण, पंचमेरु ,नव देवता एवं दस लक्षण की पूजा की जा रही है। प्रात: के बेला में नित्य नियम प्रथम अभिषेक दीपक झ्र अविनाश जैन व लघु शांति धारा रचना मनोज जैन , डॉ समकित नुपुर जैन , अंश जैन , संयम जैन को मिला।
प्रथम शांतिधारा पृथ्वी चंद झ्र श्रीमती सूरज जी व द्वितीय नवीन झ्र रश्मि जैन परिवार को सौभाग्य मिला ! दीप प्रव्ज्वलन राजकुमारी मनोज जैन, व शाश्त्र भेट कुमुदनी राजेन्द्र धनोते को सौभाग्य मिला
दोपहर में मुनि श्री प्रबोध सागर जी ने तत्वार्थ सूत्र का वाचन व मंगल प्रवचन हुए ! इसके पश्चात धुप चडाने के लिए समाजजन पहले श्रीनगर मंदिर पहुंचे समाजजनो ने वहा धुप क्षेपण किया तत्पशचात मुनि श्री प्रयोग सागर जी के मंगल प्रवचन में उत्तम संयम धर्म पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पंचेंद्रीय तथा मन के विषयों में आसक्ति को घटाना तथा इसके कारण पंचेंद्रीय जीवो की रक्षा करना ही उत्तम संयम धर्म है।
जिस प्रकार कार आदि की स्पीड को कंट्रोल करने के लिए ब्रेक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उसी प्रकार हमारे जीवन में अनेक विकार आते हैं उन्हें मन के माध्यम से कंट्रोल करने का नाम संयम धर्म है। जिसके जीवन में संयम नहीं उसका जीवन बिना ब्रेक की गाड़ी के समान होता है । हुए उसके पश्चात भट्टारक जी के चरण पर चड़ाकर जुलुस के रूप में मुनी के सानिध्य में मंदिर जी पहुचे यहाँ धुप क्षेपण कर अर्ध चडाये दस लक्षण पर्व का सातवे दिन मुनि श्री प्रबोध सागर जी ने बताया कि वर्तमान परिस्थितियों में तप बिना संसारी व्यक्ति संसार में जी नहीं सकता। बिना तपे बिना मेहनत किए जीविकोपार्जन के साधन प्राप्त नहीं कर सकते हो। तप त्याग के दिन प्रथम अभिषेक अंतिम जैन , लघु शांतिधारा रचना मनोज जैन , सुप्रिया जितेन्द्र जैन , उषा नेमीचंद जैन , बसंत जैन एवं प्रथम शांतिधारा आई सी वीणा जैन द्वितीय मुकेश मनोज जैन परिवार को सौभाग्य मिला । शास्त्र भेट आई सी वीणा जैन व मुनि श्री के पाद पक्षालन नवीन जैन परिवार को मिला !
मुनिश्री प्रयोग सागर महाराज ने अपने प्रवचन माला में बताया कि दस लक्षण पर्व का सातवां धर्म उत्तम धर्म है। जो तपता है वह कभी पक नहीं सकता। जो सूर्य की तीक्ष्ण गर्मी और सूरज की आग के तेल से नहीं गुजरता है उसके जीवन में स्वाद पैदा नहीं हो पाता है ।पेड़ पर लगा हुआ आम पकने के लिए सूर्य की तीक्ष्ण गर्मी सहन करता है। रोटी को भी पकाने के लिए अग्नि का सहारा लेना पड़ता है। जीवन एक भव्य जागरण है जीना है तो तपना होगा। तप कर जीने वाला व्यक्ति ही जीवन जीने का सही आनंद ले सकता है। समस्त कार्यक्रम में उपवास कर रहे नीतू जैन , रचना मनोज जैन व सुनयना जैन , श्रद्धा जैन , अनीता जैन उपस्थित थे।