रतलाम : मिले समुचित पोषण, न रहे कुपोषण -डॉ. निर्मला डांगी
रतलाम । एक स्वस्थ शरीर के लिए समुचित पोषण आहार बेहद जरूरी है। जीवन के प्रारंभिक दौर से लेकर व्यस्क होने तक शरीर को कई प्रकार के विटामिन और आवश्यक तत्वों की जरूरत होती है। नतीजा, कुपोषण जैसी कई बीमारियों के रूप में सामने आता है। यह बात आरोग्य भारती महिला प्रान्त सह प्रमुख डॉ. निर्मला डांगी ने डिस्ट्रीक्ट होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, काटजू नगर, रतलाम में आयोजित कुपोषण सेमिनार मे मुख्य वक्ता के रूप में कही।
उन्होंने सेमिनार में उपस्थित विद्यार्थियों एवं प्राध्यापकगणों को बताया कि समुचित आहार के बारे में जानकारी और आवश्यकता होने पर पोषण की समस्या से ग्रस्त बच्चों, महिला-पुरूषों को उपचार देवें या कुपोषण से सुपोषण केन्द्र पर भेजे। सेमिनार में वक्ता आरोग्य भारती महिला प्रान्त सह प्रमुख डॉ. निर्मला डांगी, आरोग्य भारती सदस्य डॉ. मोहन चौहान एवं आरोग्य भारती सदस्य विशाल कुमार वर्मा द्वारा विद्यार्थियों के सवालों के जवाब भी दिए गए। कार्यक्रम में डिस्ट्रीक्ट होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, काटजू नगर, रतलाम के प्राचार्य डॉ. भरत पटेल, डॉ. बलवीर सिंह गोला, डॉ. एम.एम. शर्मा, डॉ. मुकेश शर्मा, डॉ. वैभव भाटी, डॉ. नेहा जैन, डॉ. प्रज्ञा पाण्डे, डॉ. राजेश मांगरोलिया आदि प्राध्यापकगण एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। संचालन एवं आभार प्रदर्शन महाविद्यालय के डॉ. प्रमोद सिंह बघेल ने माना।
बिन्दुवार समझाईश दी
– कुपोषण – शरीर के लिए आवश्यक सन्तुलित आहार लम्बे समय तक नही मिलना कुपोषण है।
– कारण – कुपोषण प्राय: पर्याप्त सन्तुलित आहार के अभाव में होता है। (मुख्य रूप से प्रोटिन्स तथा मिनरल्स विटामिन आदि पोषक तत्वो की कमी के कारण होता है)
– परिणाम – कुपोषण के कारण बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वे आसानी से कई तरह की बीमारियों के शिकार बन जाते है। बच्चों और स्त्रियों के अधिकांश रोगों की जड़ में कुपोषण ही होता है एवं बच्चों में शारीरिक विकास रूक जाता है।
दुष्परिणाम-स्त्रियों में रक्ताल्पता या घेंघा रोग अथवा बच्चों में सूखा रोग या रतौंधी यहॉ तक कि अंधत्व की कुपोषण के दुष्परिणाम है।