जन-जातीय विद्यार्थियों को ‘सक्षम’ से मिलेगी जीवन कौशल शिक्षा
जन-जातीय कार्य विभाग और मैजिक बस इंडिया फाउंडेशन के बीच हुआ एम.ओ.यू.
उज्जैन । प्रमुख सचिव जन-जातीय कार्य विभाग डॉ. पल्लवी जैन गोविल और मैजिक बस के ग्लोबल सी.ई.ओ. जयंत रस्तोगी ने ‘सक्षम’ कार्यक्रम के एम.ओ.यू. पर हस्ताक्षर किये। प्रदेश स्तरीय 4 वर्षीय ‘सक्षम’ प्रशिक्षण में 20 जनजातीय बाहुल्य जिलों के 89 विकासखंड के जन-जातीय विद्यार्थियों को 21वीं सदी के जीवन कौशल का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें प्रदेश के 9 हजार शासकीय विद्यालयों के लगभग 18 हजार शिक्षकों को प्रशिक्षित कर लगभग 10 लाख जन-जातीय विद्यार्थियों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है।
‘सक्षम’ प्रशिक्षण में चार वर्षीय कार्यक्रम के तहत प्रथम चरण में प्रदेश के 20 जिलों और 53 विकासखंडों को शामिल किया गया है। द्वितीय चरण में सभी 89 जनजातीय विकासखंडों में लागू किया जाएगा। इसका उद्देश्य कक्षा 6वीं से 10वीं के जन-जातीय विद्यार्थियों में खेल-खेल में चुनौतियों व परिस्थितियों को समझने व उसका सामना करने का कौशल और आत्म-विश्वास विकसित करना है जिससे उनके व्यक्तित्व का बेहतर निर्माण हो सके।
जन-जातीय विद्यार्थियों में जीवन कौशल शिक्षा के प्रशिक्षण की आवश्यकता : डॉ. गोविल
प्रमुख सचिव डॉ. पल्लवी जैन गोविल ने कहा कि जन-जातीय विद्यार्थियों में जीवन कौशल शिक्षा के प्रशिक्षण और क्षमता को निखारने की अत्यंत आवश्यकता है। इससे वे जीवन के विभिन्न पहलुओं को आत्म-विश्वास के साथ सफलता प्राप्त कर बेहतर समाज के निर्माण में अहम भूमिका निभा सकेंगे। अपर आयुक्त डॉ. सत्येन्द्र सिंह ने कहा कि इस ‘सक्षम’ कार्यक्रम में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले शिक्षकों को जब मास्टर ट्रेनर्स के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा तो उन पर नई ज़िम्मेदारियाँ होंगी। वे शिक्षा के नए परिदृश्य स्थापित करने के लिए ध्वज-वाहक के रूप में इस कार्यक्रम में अपने नवाचार और प्रतिभा का इस्तेमाल करेंगे।
खेल-खेल में 11 जीवन कौशल की शिक्षा पायेंगे जन-जातीय विद्यार्थी
‘सक्षम’ प्रशिक्षण के तहत जन-जातीय विद्यार्थियों को स्व-जागरुकता, अनुकूलन क्षमता, समस्या समाधान, निर्णय क्षमता, समझौता वार्ता, निश्चयात्मकता, संवाद, आत्म-प्रबंधन, सहानुभूति, सहयोगात्मकता और रचनात्मकता जैसे 11 जीवन कौशल की रोचक तरीके से शिक्षा दी जाएगी। यह प्रशिक्षण विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास और शिक्षा के प्रति उनकी रुचि को बढ़ावा देगा और वे 21वीं सदी के अनुरूप आवश्यक जीवन कौशल का विकास कर सफल और आदर्श नागरिक बनेंगे।