सुसनेर : पर्युषण पर्व पर चल समारोह निकला, महिलाएँ मंगल गीत गाते चल रही थी सुगंध दशमी पर धूप की खुशबू से महके जैन मंदिर

सुसनेर ।  दिगंबर जैन समाज के पर्युषण पर्व में सुगंध दशमी (धूप दशमी) मनाई। खेमन पर्व के चलते जिनालयों में भगवान की विशेष पूजा-अर्चना की गई। धूप दशमी पर चल समारोह निकाला, जिसमें बड़ी संख्या में समाजजन शामिल हुए। रविवार को उत्तम संयम धर्म धूप दशमी के अवसर पर कथा का वाचन कर पर्व के बारे में जानकारी दी। जैन मंदिर में बच्चों और महिलाओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुती दी गई। धूप दशमी को धूप खेवन पर्व भी कहा जाता है। पर्युषण पर्व के छठवें दिन समाजजन सभी जैन मंदिरों में जाकर श्रीजी के चरणों में धूप अर्पित की जिससे वायुमंडल सुगंधित व स्वच्छ हो जाता है। जैन मंदिरों में जाकर 24 तीर्थंकरों को धूप अर्पित करने के साथ भगवान से प्रार्थना कि हे भगवान! इस सुगंध दशमी के दिन, मैं आनंद की तलाश के रूप में अपने नाम में प्रार्थना करता हूं। मैं तीर्थंकरों द्वारा बतलाए मार्ग का पालन करने की प्रार्थना करता हूं, जो ज्ञान और मुक्ति का एहसास कराते हैं। हे भगवान, मैं आपके नाम का ध्यान धरकर मोक्ष प्राप्ति की कामना करता हूं।
सुगंध दशमी के अवसर पर श्री चंद्रप्रभु दिगंबर जैन छोटा मंदिर जी से चलसमारोह निकाला गया, जो नगर के प्रमुख मार्गाें से होते हुवे श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर जी पहुंचा जहां पर परंपरागत रूप से टाकपूर्विया परिवार के साथ समाजजनों ने सामूहिक रूप से भगवान की आरती की। चल समारोह के दौरान बच्चे, युवा भगवान की भक्ति में नाच रहे थे, तो महिलाएं मंगल गीत गाते हुए चल रही थी ।
सुगन्ध दशमी के अवसर पर सुबह दिगंबर जैन मंदिरों में भगवान की विशेष पूजा-अर्चना, अभिषेक व जलधारा का कार्यक्रम हुआ तथा नित नियम पूजन के साथ सुगन्ध दशमी की पूजन की गई। जैन मंदिरों में चल रहे मंडल विधान के दौरान सुगन्ध दशमी की पूजन की गई। दोपहर में श्री दिगंबर जैन चंद्रप्रभु मंदिर शुक्रवारिया बाजार व दिगंबर जैन बिचला मंदिर जी सराफा बाजार में सुगंध दशमी की कथा का वाचन किया। कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में भक्तगण मौजूद रहे। इस कथा में जैन धर्म में सुगन्धी दशमी के त्यौहार के महत्व के विषय में बताया। इसके बाद शुक्रवारिया बाजार स्थित चंद्रप्रभु मंदिर की शिखर पर धर्मध्वजा चढ़ाई गई।
बड़नगर
रविवार को जैन समाज ने सुगंध दशमी पर्व धूमधाम से मनाया। साथ ही उत्तम संयम धर्म की पूजा की गई। सुगंध दशमी दिगंबर जैन समाजजन सभी जिनालयों के दर्शन कर धूप अर्पित की। श्वेतांबर समाज के मंदिरों में भगवान की आकर्षक अंगी रचना की गई थी। पर्व को लेकर मंदिरों में आकर्षक झांकियों का निर्माण एवं मंडलों की स्थापना की गई थी। देर रात्रि तक समाजजन दर्शन के लिए उमड़े। सुरा मरद के जयकारों के साथ सत्य वीर तेजाजी को मन्नत की छतरी (निशान) चढ़ाने सड़कों पर निकला कारवाँ।