घुड़सवारी में गोल्ड के पीछे छुपा है इंदौर की बेटी सुदीप्ती का कड़ी मेहनत और संघर्ष
कर्ज लेकर तैयारी की, पैसे बचाने को घोड़े की लीद भी साफ करती थी, खुद ही घोड़े को नहलाती भी थी
इंदौर। हांगझू एशियन गेम्स में मंगलवार को भारत की घुड़सवारी ड्रेसेज टीम ने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया और यह संभव कर दिखाने वाली भारतीय घुड़सवारों की टीम में शामिल अपने शहर की बेटी सुदीप्ती हजेला का जोरदार प्रदर्शन देखते ही बना। नतीजतन, मंगलवार को चीन में तिरंगा लहराया।
हांगझू एशियन गेम्स में मंगलवार को भारत की घुड़सवारी ड्रेसेज टीम ने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। घुड़सवारी में भारत को 41 वर्ष बाद कोई स्वर्ण पदक मिला है।
आसान नहीं स्वर्ण पदक तक का सफर
घोड़े पर बैठकर स्वर्ण पदक तक का सफर आसान नहीं था। सुदीप्ती को ट्रेनिंग दिलाने के लिए परिवार ने कर्ज लिया। पैसे कम थे तो 19 साल की यह लड़की घोड़े की लीद साफ करने जैसे काम भी खुद करती थी। सुदीप्ति बुधवार को व्यक्तिगत ड्रेसाज वर्ग में खेलेगी। गुरुवार को भी सुदीप्ति घोड़े के साथ मैदान में उतरेगी।
भारतीय दल में सुदीप्ती के अलावा दिव्यकीर्ति सिंह, विपुल हृदय छेड़ा और अनुश अग्रवाल शामिल हैं। सुदीप्ती के पिता मुकेश हजेला के अनुसार इंदौर में इस खेल के लिए बहुत ज्यादा सुविधाएं नहीं हैं। ऐसे में उन्होंने बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए विदेश में ट्रेनिंग दिलाने का फैसला लिया। विदेश जाना बहुत महंगा था। इंदौर में जो काम 100 रुपये में हो जाता है, विदेश में उसके 1000 रुपये तक खर्च होते हैं। नतीजतन, परिवार और दोस्तों से मदद ली। कर्ज भी लिया।
बेटी को चार साल पहले फ्रांस में तैयारी के लिए भेजा। पैसे बचाना थे तो वह सब कम खुद करती थी। घोड़े की लीद साफ करना, उसे नहलाना जैसे काम भी खुद किए।