इस बार खास संयोगों में होंगे श्राद्ध, वह भी पूरे 16 दिन के 

 

– एक भी तिथि न बढ़ रही न घट रही, आज पूर्णिमा और कल प्रतिपदा का श्राद्ध होगा 

– अमृत सिद्ध योग के संयोग में पितरों के निमित्त पिंडदान अमृत्व को प्रदान करते हैं 

 

दैनिक अवंतिका उज्जैन। 

इस बार श्रद्धा कई खास संयोगों के साथ आ रहे हैं। वह भी पूरे 16 दिन के रहेंगे। इसमें एक भी तिथि न घट रही है और न बढ़ रही है। आज शुक्रवार को पूर्णिमा का श्राद्ध होगा तो कल प्रतिपदा का श्राद्ध किया जाएगा। इस बार 29 तारीख की मध्य रात्रि में अमृत सिद्धि योग का भी संयोग बनेगा, जो अगले दिन सुबह तक रहेगा। यह भी अपने आप में विशिष्ट है, क्योंकि अमृत सिद्धि योग के संयोग में पितरों के नैमित किया गया तर्पण व पिंडदान उन्हें अमृत प्रदान करता है।

उज्जैन के तीर्थ पुरोहित एवं ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डब्बावाला ने बताया कि भादौ शुक्ल पूर्णिमा तिथि से महालय श्राद्ध पक्ष का आरंभ हो जाएगा। इस दिन उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र, वृद्धि योग, बव करण, मीन राशि का चंद्रमा रहेगा जो कि शुभ स्थिति का संकेत दे रहे हैं। क्योंकि किसी भी पर्व काल की शुरुआत यदि विशिष्ट ग्रह नक्षत्र के साक्षी में हो तो वह विशेष प्रकार से फल प्रदान करने में सक्षम हो जाता है। इस बार महालय श्राद्ध का आरंभ सूर्य – मंगल के कन्या राशि पर गोचरस्थ होने की उपस्थिति का रहेगा। 

श्राद्ध पूरे 16 दिन के, कुछ 

पंचांगों में चतुर्थी का क्षय

महालय श्राद्ध पूरे 16 दिन के ही रहेंगे। हालांकि कुछ पंचांगों में चतुर्थी तिथि का क्षय बताया है, किंतु तृतीया और चतुर्थी का अलग-अलग गणित धर्म शास्त्र में है। इस दृष्टि से नियत क्रम से तिथि पर ही श्राद्ध करें। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में नवग्रह की गति का नियम अलग प्रकार से अपनी गणना करता है। 

रामघाट, सिद्धवट और गया कोठा 

तीर्थ पर उमड़ेंगे देशभर के श्रद्धालु 

धार्मिक नगरी उज्जैन में शिप्रा तट रामघाट, सिद्धवट और अंकपात स्थित गया कोठा तीर्थ में देशभर के श्रद्धालु पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध कर्म करने आएंगे। इन तीनों स्थानों पर उज्जैन के परंपरागत पंडे-तीर्थ पुरोहित गण श्रद्धालुओं का श्राद्ध पूज कराएंगे। यहां पिंडदान व तर्पण का बड़ा महत्व है। शिप्रा में स्नान कर लोग दान-पुण्य कर गायों को चारा खिलाएंगे तो पंडितों को भी दान-दक्षिणा देंगे।

29 सितंबर से 14 अक्टूबर तक जाने 
कौन से दिन किस तिथि का श्राद्ध
29 सितंबर शुक्रवार – पूर्णिमा 
30 सितंबर शनिवार – प्रतिपदा
01 अक्टूबर रविवार – द्वितिया
02 अक्टूबर सोमवार – तृतीया 
03 अक्टूबर मंगलवार – चतुर्थी
04 अक्टूबर बुधवार – पंचमी
05 अक्टूबर गुरुवार – षष्ठी
06 अक्टूबर शुक्रवार – सप्तमी
07 अक्टूबर शनिवार – अष्टमी 
08 अक्टूबर रविवार – नवमी 
09 अक्टूबर सोमवार – दशमी
10 अक्टूबर मंगलवार – एकादशी
11 अक्टूबर बुधवार – द्वादशी
12 अक्टूबर गुरुवार – त्रयोदशी 
13 अक्टूबर शुक्रवार – चतुर्दशी
14 अक्टूबर शनिवार – अमावस्या