अप्रूवल में देरी से मरीजों को नहीं मिल रहा आधुनिक मशीनों से इलाज
मामला कैंसर हास्पिटल की बिल्डिंग और लीनियर एक्सीलेटर मशीन का
दैनिक अवन्तिका इंदौर
एमजीएम मेडिकल कालेज के शासकीय कैंसर हास्पिटल की नई बिल्डिंग की ड्राइंग डिजाइन को भोपाल से साल भर बाद भी अप्रूवल नहीं मिल रहा है। अप्रूवल नहीं मिलने की वजह से जहां नई बिल्डिंग अधर में लटकी हुई है, वहीं कैंसर रोगियों को भी लीनियर एक्सीलेटर मशीन से रेडिएशन भी नहीं मिल पा रहा है। इस कारण कैंसर पीड़ितों और उनके परिजनों की परेशानियां और बढ़ते जा रही हैं। दूसरी ओर, जिम्मेदार इस ओर ध्यान ही नहीं दे रहे।
उल्लेखनीय है कि अभी यहां कैंसर रोगियों को कोबाल्ट 60 मशीन से रेडिएशन दिया जा रहा है और यह अक्सर खराब होते रहती है। इस वजह से मरीजों और उनके परिजनों को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लगभग पांच साल पहले यहां पर लीनियर एक्सीलेटर मशीन लगाए जाने की मांग उठी थी। इसके बाद इसके लिए प्रयास शुरू हुए। इसकी मंजूरी भी मिल गई, लेकिन मशीन नहीं लग पाई। अब बिल्डिंग के यहां पर यह भी प्रासंगिक है कि शासकीय कैंसर हास्पिटल में हर साल ढाई से तीन हजार नए मरीज पंजीकृत होते हैं। इसके अलावा जो पुराने मरीज हैं, वह अलग।
रोजाना ही यहां पर रेडिएशन कराने के लिए कैंसर पीड़ितों की भीड़ जुटती है। नंबर नहीं लगने पर फिर दूसरे दिन वे रेडिएशन के लिए अस्पताल के चक्कर लगाने को मजबूर हो जाते हैं। इधर, सरकारी तंत्र की उदासीनता के चलते न तो नई कैंसर बिल्डिंग का अप्रूवल मिल रहा है और न ही स्वीकृति के बाद भी मरीजों को लीनियर एक्सीलेटर मशीन की सुविधा। आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि जन प्रतिनिधि भी जन स्वास्थ्य से जुड़े इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। चक्कर में वजह यह कि यदि अब नई बिल्डिंग का अप्रूवल मिल भी गया तो उसे बनने में दो से तीन साल का समय लगेगा। उसके बाद ही कहा यह एक बार मशीन इस्टाल की जा सकेगी।
लीनियर एक्सीलेटर फिर यह मशीन लगने से जहां कम समय में अधिक मरीजों मशीन को रेडिएशन दिया जा सकेगा, वहीं उन्हें कई अन्य अधर में परेशानियों और पीड़ा का सामना नहीं करना लटक ते पड़ेगा। इधर, अधिकारियों का कहना है कि जब नजर आ तक नई बिल्डिंग नहीं बन जाती, लोनियर रही है। एक्सीलेटर मशीन नहीं लगाई जा सकती। वजह यह कि इस मशीन के लिए अलग से सीमेंट- कांक्रीट का चैम्बर बनाना होगा।