बंदियों ने पितरों की आत्मशांति के लिये जेल में किया तर्पण -90 कैदियों के साथ 22 महिला बंदी हुई शामिल
उज्जैन। केन्द्रीय जेल भैरवगढ़ में बंदियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़े रहने के प्रयास जेल प्रशासन द्वारा लगातार किये जा रहे है। इसी क्रम में श्राद्ध पक्ष की अष्टमी पर शुक्रवार को पितरों की आत्मशांति के लिये तर्पण किया गया। जिसमें 90 से अधिक कैदियों के साथ 22 महिला बंदी शामिल हुई। खास बात यह रही कि हत्या में सजा काट रहे बंदियों ने उनका जल तर्पण किया, जिनकी उनके हाथों हत्या हुई है।
16 दिवसीय श्राद्ध पक्ष में अपने पितरों का तर्पण करने के लिये गयाकोठा, सिद्धवट और क्षिप्रा के रामघाट पर प्रतिदिन श्रद्धालु पहुंच रहे है। कुछ वर्षो से केन्द्रीय जेल प्रशासन द्वारा भी सजायाफ्ता बंदियों के लिये अपने पितरों का तर्पण किये जाने की व्यवस्था की जा रही है। शुक्रवार को जेल में करीब 90 बंदियों ने तर्पण पूजन में भाग लिया, जिसमें महिला बंदी भी शामिल थी। बंदियों को नि:शुल्क तर्पण पंडित श्याम गुरू (तीर्थ पुरोहित घोडी वाला) ने कराया और मंत्रोच्चार के साथ सुबह 10 बजे पूजन शुरू किया। करीब डेढ़ घंटे तक जेल में मंत्रोच्चार की गूंज पितरों की आत्मशांति के लिये गूंजती रही। तर्पण पूजन में ऐसे बंदी भी शामिल हुए जिनके हाथों गलती से हत्या हुई है, उन्होने दिवगंतों के लिये जल तर्पण किया। जेल की ओर से रही पूजन सामग्री की व्यवस्था भैरवगढ़ जेल अधीक्षक मनोज साहू ने बताया कि कुछ सालों से बंदियों के लिये श्राद्ध पक्ष में तर्पण की अनुमति दी जा रही है। इस बार भी अनुमति के बाद बंदियों को तर्पण के लिये उपलब्ध कराई जाने वाली पूजन सामग्री जेल प्रशासन की ओर से उपलब्ध कराई गई। बंदियों में तर्पण करते हुए पश्चताप की भावना भी दिखाई दी। श्राद्ध पक्ष ही नहीं जेल में रक्षाबंधन, दीपावली, होली के साथ ही अन्य त्यौहारों को भी मनाया जाता है, ताकि गुनाह करने वाले सजा पूरी होने के बाद भी समाज की मुख्यधारा से जुड़े रहे।