हुकमचंद मिल मजदूरों को 32 वर्ष बाद भी करना पड़ सकता है इंतजार
शिवराज सरकार ने तो हरी झंडी दे दी लेकिन दस्तावेजों के मिलान में लगेगा समय
इंदौर हुकमचंद मिल के 5895 मजदूर और उनके परिवारजन 32 वर्ष बाद दीपावली की धूमधाम से खुशियां मना सकेंगे या नहीं, यह अब तक तय नहीं है। शिवराज सरकार ने तो कैबिनेट बैठक में हरी झंडी दे दी है, लेकिन दस्तावेगी कार्यवाही में काफी समय लग सकता है। गौरतलब है कि मिल के मजदूरों के पक्ष में 174 करोड़ रुपये मुआवजा और 44 करोड़ रुपये ब्याज के प्रस्ताव को मंत्री परिषद की बैठक में स्वीकृति मिल चुकी है, लेकिन यह भुगतान कब मिलेगा, इसे लेकर फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता।
दिनांक 12 दिसंबर 1991 को मिल बंद होते वक्त उसमें 5895 मजदूर काम करते थे। 32 वर्षों के लंबे समय में इनमें से 2200 से ज्यादा मजदूरों की मौत हो चुकी है। वहीं 700 से ज्यादा मृत मजदूरों की पत्नियों की भी मृत्यु हो चुकी है। अब इनके वारिसों को भुगतान किया जाना है। इधर इस बात की भी संभावना है कि 218 करोड़ रुपये की मोटी रकम बैंक में एक मुश्त जमा कराने के लिए शासन कोर्ट से समय मांग सकता है। ऐसा हुआ तो मजदूरों को दीपावली से पहले भुगतान मिलना मुश्किल हो जाएगा।