जैन संत स्थूल हिंसा के साथ सूक्ष्म हिंसा के भी होते हैं त्यागी

मंडलेश्वर। नगर में विराजित संत प्रवर मुनिश्री प्रयोगसागर एवं मुनि श्री प्रबोध सागर महाराज की चातुर्मास में तप एवं साधना निरंतर जारी है। जैन समाज अध्यक्ष समीर जैन मुनि त्यागी समिति अध्यक्ष नयन जैन ने बताया कि संत प्रवर के सानिध्य में प्रतिदिन धर्म पर आधारित शिक्षण कार्य सुचारू रूप से जारी है। समाज जनों को संबोधित करते हुए मुनि प्रयोगसागर महाराज ने बताया कि जैन संत स्थूल हिंसा के साथ-साथ सूक्ष्म हिंसा के लिए त्यागी होते हैं। इनके अंदर करुणा, प्रेम, वात्सल्य का सरोवर सदा समाहित रहता है। जैन संत वाहन का उपयोग नहीं करते हैं। वह सिर्फ पद विहार कर अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं। इसलिए वर्षा काल में एक स्थान पर ठहरकर धर्म प्रभावना करते हैं। क्योंकि इस समय अत्यधिक मात्रा में सूक्ष्म जीवों की उत्पत्ति होती है जिनकी हिंसा से बचा जा सकेगा।प्रतिदिन नित्य नियम अभिषेक पूजन शांति धारा की जा रही है। गुरुवर के मुखारविंद से शांति धारा का वाचन किया जा रहा है। शांति धारा करने का सौभाग्य परिवार को मिला एवं मुनि श्री की आहारचर्या करने का सौभाग्य परिवार को मिला।

रिपोर्ट दीपक सिंह तोमर