दिन में तापमान 35 डिग्री, रात को गुलाबी ठंड का अहसास, गेहूं की फसल को मिलेगा फायदा, गंभीर भी अपनी क्षमता से भरा
उज्जैन। वर्षाकाल के आखिरी दिनों में हुई बारिश के बाद अब मौसम में बदलाव दिखाई दे रहा है। दिन का तापमान 35 डिग्री के आसपास बना हुआ है। रात में गुलाबी ठंड महसूस होने लगी है। नवंबर-दिसंबर माह में कड़ाके की ठंड पडऩे का अनुमान जताया जा रहा है।
इस बार जून जुलाई में औसत से कम काम बारिश के बाद अगस्त माह बिना बरसात के गुजर गया था लेकिन वर्षाकल के अंतिम दिनों में बारिश ने ऐसा कहर मचाया की तीन दिनों में ही पूरा जिला पानी-पानी हो गया। लोगों को बचाने के लिए रेस्क्यू किया गया और कई क्षेत्रों में नाव चलाना पड़ गई। वर्षाकाल के अंतिम दिनों में हुई बारिश के बाद शहर की औसतन बारिश से 7 इंच अधिक बारिश दर्ज की गई। 16 सितंबर के बाद से बारिश का क्रम थमा हुआ है और अधिकतम तापमान में तेजी आ रही है दिन में 35 डिग्री के आसपास तापमान पिछले एक सप्ताह से दर्ज हो रहा है। वहीं न्यूनतम तापमान में कमी आने लगी है जिसके चलते रात के समय गुलाबी ठंड महसूस की जा रही है। जीवाजीराव वेधशाला के अनुसार रात को तापमान 19-20 डिग्री के आसपास बना हुआ है जिसमें आगामी कुछ दिन बाद और कमी आ सकती है। औसतन 36 इंच से अधिक हुई बारिश के बाद जमीन में काफी अच्छी नामी आई है जिसके चलते शाम की आद्रता 35 और सुबह 75 प्रतिशत की बनी हुई है। शाम ढलने के बाद हवा भी 6 से 8 किलोमीटर की चल रही है जिसके चलते ठंडक महसूस की जा रही है। नवंबर माह से तेज ठंड का एहसास होने लगेगा। इस बार जनवरी तक कड़ाके की ठंड पडऩे का अनुमान है।
गेहूं की फसल को मिलेगा फायदा
वर्षाकाल के अंतिम दिनों में हुई बारिश से जहां सोयाबीन की फसल को नुकसान पहुंचा था लेकिन आगामी दोनों में होने वाली गेहूं की फसल को काफी फायदा होने की बात कृषि जानकारो द्वारा की जा रही है। वही सब्जियों की फसल की पैदावार भी अच्छी होने का अनुमान है। फिलहाल खेतों में सोयाबीन की फसल काटने का काम अंतिम चरण में चल रहा है। जिन खेतों में सोयाबीन की कटाई हो चुकी है, वहां किसानों ने आगामी फसल की बोवनी करने की तैयारियां शुरू कर दी है।
गंभीर भी अपनी क्षमता से भरा
इस बार गंभीर डेम सितंबर माह में ही अपनी क्षमता को पार कर चुका था। 15 से 17 सितंबर के बीच हुई बारिश के चलते गंभीर के गेट खोले गये थे। जिसके चलते 2250 एमसीएफटी क्षमता के डेम का लेवल मेंटन रखने के लिये 2 गुना अधिक पानी छोड़ा गया था। शहर में प्रतिदिन जलप्रदाय के लिए 1992 में गंभीर डेम बनाया गया था। जिससे पूरे वर्ष जलप्रदाय किया जाता है, लेकिन शहर का क्षेत्रफल आबादी के हिसाब से काफी अधिक बड़ा हो गया है। कुछ सालों से अप्रैल-मई माह में जलसंकट के आसार गहराने लगते है और एक दिन छोड़ जलप्रदाय किया जाता है। इस बार क्षमता से भरे दिख रहे डेम से पीएचई विभाग पानी चोरी रोकने में सफल रहा तो वर्ष 2024 में पर्याप्त रूप से जलप्रदाय किया जा सकेगा।