महाकाल मंदिर में दशहरा मना , पालकी में सवार होकर शमी पूजन करने पहुंचे भोलेनाथ
उज्जैन।पौराणिक मान्यता व राजवंश परंपरा में विजय दशमी पर सर्वत्र विजय की कामना से नगर सीमा स्थित शमी वृक्ष का पूजन किया जाता है। इसी के तहत सोमवार को विजयादशमी पर उज्जैन के राजा भगवान महाकाल की सवारी दशहरा मैदान पहुंची । यहां पर शमी वृक्ष का पूजन किया गया। वर्ष में एक बार विजयादशमी पर भगवान नए शहर फ्रीगंज स्थित दशहरा मैदान जाते हैं। सवारी को सीमान्लंघन सवारी कहा जाता है। महाकाल मंदिर में यह परंपरा इस बार सोमवार को मनाई गई।
ग्वालियर पंचांग के अनुसार विजय दशमी पर उज्जैन में सोमवार को महाकालेश्वर मंदिर से शाम 4 बजे भगवान महाकाल की सवारी निकली। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र बल की टुकड़ी ने अवंतिकानाथ को सलामी दी। सवारी कोटमोहल्ला, गुदरी चौराहा,पटनी बाजार, गोपाल मंदिर, सराफा, सतीगेट, नई सड़क, दौलतगंज, मालीपुरा, देवासगेट, चामुण्डा माता चौराहा से टॉवर के रास्ते पुराने कलेक्टर बंगले के सामने से होती हुई दशहरा मैदान पहुंची। इस दौरान भगवान का नए शहर में पुष्पवर्षा के साथ जोरदार स्वागत किया गया। सवारी के दशहरा मैदान पहुंचने पर
कलेक्टर ने भगवान महाकाल व शमी वृक्ष की पूजा अर्चना की। पूजन पश्चात सवारी फ्रीगंज ओवरब्रिज से संख्याराजे धर्मशाला, देवासगेट, मालीपुरा, दौलतगंज, तोपखाना होते हुए पुनः श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंची । महाकाल मंदिर में विजय दशमी पर संध्या आरती में भगवान महाकाल भक्तों को होलकर मुखारविंद में दर्शन दिए। संध्या पूजन के बाद भगवान का होलकर रूप में शृंगार किया गया।
विजय दशमी पर महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर नया ध्वज चढ़ाने की परंपरा का भी विजयादशमी पर निर्वहन किया गया। सुबह आरती के बाद शिखर पर नया ध्वज चढ़ाया गया। महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनितगिरिजी महाराज ने ध्वज का पूजन किया।