एकला चलो रे… की नीति भारी पडी गौरव को। कभी विजयवर्गीय के थे खास अब नुकसान दे गया अलग होना
दैनिक अवंतिका(इंदौर) गौरव रणदिवे कभी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के नजदीक हुआ करते थे, लेकिन राजनीति के चलते ही नगर अध्यक्ष की कुर्सी के लिए संगठन महामंत्री रहे सुहास भगत के खास हो गए और अध्यक्ष बन गए । अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठते ही गौरव पर ये आरोप लगने लगे कि वे एकला चलो की नीति पर चल रहे है और यही सेbविजयवर्गीय गुट से तनातनी शुरू हो गए और अब जब गौरव 5 व 3 से विधानसभा चुनाव लड़ने के नजदीक थे तो विजयवर्गीय गुट ने ही उनको रोक दिया ऐन वक्त पर नाम कटवा दिया । मेयर चुनाव में भी गौरव थे आगे, लेकिन मित्र ने बाजी मारी। निगम चुनाव में मेयर चुनाव में भाजपा नए चेहरे की तलाश में थी तब भी गौरव रणदिवे व निशान्त खरे का नाम प्रमुख रुप से सामने आया था तब विजयवर्गीय ने ही पुष्प मित्र भार्गव का नाम आगे कर दिया था और इनकी राह रोक दी थी। संगठन क्षमता दिखाई लेकिन काम नही आई – गौरव रणदिवे ने अपने अध्यक्ष कार्यकाल में पूरी तरह से संगठन क्षमता दिखाई ,लेकिन चुनाव लड़ने में सफलता नही दिला पाई । कोरोना काल मे लाकडाउन में भी गौरव ने बखूबी मैदान पकड़ा थे। व प्रशाशन के साथ खूब काम किया था बाद बड़े नेताओं के कार्यक्रम व बड़ी सभाओं में भी महती भूमिका निभाई थी। पूर्व व वर्तमान संगठन महामंत्री का साथ तो मिला लेकिन सफलता नही गौरव रणदिवे को पूर्व संघठन महामंत्री रहे सुहास भगत व वर्तमान महामंत्री हितानंद शर्मा का साथ तो खूब मिला लेकिन टिकिट में सफलता नहीं मिली । दोनों महामंत्री पर राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय भारी रहे