पर्यावरण बचाने के नाम पर ई-रिक्शा यात्रियों के साथ ढो रहे हैं माल भी । मोटर व्हीकल एक्ट की उड़ा रहे हैं धज्जियां फिर भी नहीं हो रही कार्रवाई 7 से 10 सवारी तक बैठा लेते हैं फिर भी जिम्मेदार मोन
दैनिक अवंतिका(इंदौर) पर्यावरण बचाने के नाम पर ई-रिक्शा चालक खुलेआम मोटर व्हीकल एक्ट की धज्जियां उड़ा रहे हैं7 से 10 सवारी तक बैठा लेते हैं फिर भी जिम्मेदार मोन वैसे तो ई-रिक्शा यात्रियों को बिठाने के लिए है लेकिन यह माल भी ढो हो रहे हैं। यहां तक की ई-रिक्शा में 7 से 10 सवारियां बैठी दिखाई दे सकती हैं।
जबकि की ऑटो रिक्शा में तीन सवारी से ज्यादा बिठाने पर ट्रैफिक पुलिस चालानी कार्रवाई कर देती है। ऑटो रिक्शा में परमिट की आवश्यकता होती है, लेकिन ई-रिक्शा में परमिट की कोई आवश्यकता नहीं है यह किसी भी रोड पर आ जा सकती हैं। जबकि मांग की जा रही है कि ई-रिक्शा को रूट रूट परमिट दिए जाएं क्योंकि अभी रूट परमिट नहीं होने से यह ऐसे रोड पर खड़े होते हैं जहां ट्रैफिक जाम की स्थिति भी निर्मित होती है। राजवाड़ा पर तो इनका जमावड़ा रहता है।”16000 से ज्यादा हो गए पंजीकृत” इंदौर में दोपहिया, चार पहिया वाहनों के साथ लगातार ई- रिक्शा के भी बड़ी संख्या में पंजीयन हो रहें है। जिससे इंदौर में अब तक लगभग 16 हजार से ज्यादा वाहन पंजीकृत हो चुके है। यही नहीं ई-रिक्शा का प्रचलन भी लगातार बढ़ रहा है। जिससे हर माह वाहनों के पंजीयन की संख्या भी बढ़ रही हैं। संख्या बढ़ने से सिटी वेन ,मैजिक, ऑटो रिक्शा और ठेले वालों का धंधा चौपट हो गया है। “प्रतिमाह बढ़ रही है इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या” विक्रेताओं के मुताबिक इंदौर में प्रतिमाह इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ती जा रही है। हर माह 400 से 450 के आसपास दो पहिया वाहन इंदौर जिले में बिक रहे हैं। जबकि अब कारों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है। आरटीओ में 26 लाख से ज्यादा वाहन रजिस्टर्ड है अब इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या भी दिनों दिन बड़ी है जिससे शहर के ट्रैफिक का कचूमर निकल रहा है।