गुरु का 12 साल के बाद कुंभ राशि  में प्रवेश, राजनीति में बदलाव होंगे

– कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा, क्योंकि गुरु व शनि की युति समाप्त हो रही

उज्जैन। देव गुरु बृहस्पति ने पूरे 12 वर्ष के बाद शनिवार 20 नवंबर की रात कुंभ राशि में प्रवेश किया। गुरु के इस राशि परिवर्तन से आने वाले समय में कई तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे। यह राजनीतिक क्षेत्र में भी परिवर्तन होने के महत्वपूर्ण संकेत बताए जा रहे हैं।      

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डब्बावाला ने बताया गुरु के कुंभ में प्रवेश से कई बदलाव नजर आएंगे। हालांकि इससे कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा। क्योंकि कुंभ राशि शनि की स्वामित्व वाली राशि होती है और गुरु व शनि में समभाव है। इन दोनों ग्रहों में शत्रु भाव नहीं होता।  गुरु ने नीच राशि मकर से कुंभ में प्रवेश किया है। इसके साथ ही अब मकर राशि में बनी गुरु-शनि की जोड़ी भी खत्म हो गई। इसलिए इस परिवर्तन से लाभ ही होंगे।

गुरु इसके पहले वर्ष 2009 व 2010 में कुंभ राशि में ही थे

गुरु बृहस्पति करीब 13 माह तक एक ही राशि में परिभ्रमण करते हैं। हालांकि वक्री और मार्गी होने के कारण गुरु के एक राशि में रुकने का समय कुछ परिवर्तित भी होता रहता है। इसलिए सामान्यत: किसी राशि में दोबारा आने में गुरु को करीब 12 वर्ष लग जाते हैं। इसके पहले गुरु वर्ष 2009-10 में कुंभ राशि में थे।

जाने क्या-क्या असर होता है जब गुरु कुंभ में होते हैं तो

गुरु के कुंभ राशि में प्रवेश से गुरु कई तरह के परिवर्तन होते हैं। इस दशा में गुरु की पूर्ण दृष्टि मिथुन, सिंह और तुला राशि पर रहती है। इससे राजनीति में बड़े स्तर पर बदलाव हो सकते हैं। कई राज्यों में चुनावों के नतीजे सत्तारुढ़ सरकारों के पक्ष में आने में दिक्कतें होगी। मंहगाई घटेगी एवं करों का बोझ कम होगा। देश में रोगों की कमी होगी। जमीन, मकान सस्ते होंगे।

–