ब्रह्मास्त्र विशेष: महाकाल मंदिर विस्तारीकरण में- अन्याय के खिलाफ 29 दुकानदारों का फूटा गुस्सा
50- 60 साल से किराएदार दुकानदारों को कोई राहत नहीं, ऐसे में तो बेरोजगार हो जाएंगे, भूखे मरने की आ जाएगी नौबत
दुकानदारों का सवाल- फुटपाथ पर बैठे हार फूल वालों को पक्की दुकानें चार चार बार बना कर दी, मुस्लिमों के मकानों का अतिक्रमण बताने के बावजूद 3-3 लाख का मुआवजा दिया, 11 मकान मालिकों को मुआवजा दिया पर 50-50 साल से किराए की दुकान चला रहे दुकानदारों के प्रति सहानुभूति क्यों नहीं ..?
70 मीटर के दायरे में 152 मकान और 5000 लोग होंगे प्रभावित
उज्जैन। महाकाल मंदिर विस्तारीकरण के लिए जमीन अधिग्रहण की जा रही है। महाकाल मंदिर क्षेत्र में अधिग्रहित होने वाले 11 मकान मालिकों को 3 दिन में मकान खाली करने के लिए कहा गया है। मकान तो खाली हो जाएंगे ,लेकिन सबसे बड़ा सवाल उन 29 दुकानदारों का है जो पिछले 50-60 सालों से इन्हीं मकानों में दुकान चलाते आ रहे हैं। मकान अधिग्रहण की खबर मिलने के बाद दुकानदारों का कहना है कि हम कहां जाएंगे ? मकान मालिक को तो मुआवजा मिल जाएगा, परंतु हमें क्या? इसी अन्याय के खिलाफ दुकानदारों का गुस्सा फूट पड़ा है। दुकानदारों का कहना है कि ऐसे में तो हम बेरोजगार हो जाएंगे और भूखे मरने की नौबत आ जाएगी। महाकाल मंदिर का विस्तारीकरण हो इसमें हमें कोई आपत्ति नहीं, लेकिन हमारा भी विस्थापन हो और हमें विश्वास में लिया जाए। दुकानदारों का यह भी सवाल है कि जब फुटपाथ पर बैठे हार- फूल वालों को चार – चार बार पक्की दुकानें बनाकर दी जा सकती हैं, मुस्लिमों के मकानों का अतिक्रमण बताने के बावजूद 3-3 लाख रुपए का मुआवजा दिया जा सकता है, मकान मालिकों को मुआवजा दिया जा सकता है तो फिर 50 साल से किराए की दुकान चला रहे दुकानदारों के प्रति सहानुभूति क्यों नहीं ? दुकानदारों ने जो कुछ दैनिक ब्रह्मास्त्र से कहा उसके अंश हम यहां प्रस्तुत कर रहे हैं-
तहसीलदार कहते हैं 3 दिन में दुकान खाली कर दो, यह तो कोई तरीका नहीं
मिठाई विक्रेता अनिल गंगवाल ने बेहद आक्रोशित स्वर में बताया कि महाकाल विस्तारीकरण योजना हमेशा चलती रही है। पहले स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट आया। इसके बाद अभी महाकाल मंदिर की भी अपनी योजनाएं हैं। हमारा हमेशा कहना है कि योजनाएं आप कहीं भी बनाएं। महाकाल मंदिर के लिए कोई भी आदमी त्याग करने के लिए तैयार है। उससे किसी को भी इंकार नहीं है, लेकिन कोई भी नियम या कोई भी योजना लागू करे तो उससे प्रभावित होने वाले लोगों को विश्वास में लेना या उसके विस्थापन करने की व्यवस्था करना योजना का एक प्रमुख अंग होता है। योजनाएं जब लागू की, तब भी आपने कहा था कि पूरा विस्थापन किया जाएगा। हमारा कहना यह है कि अभी 11 मकान को जो अधिग्रहित कर रहे हैं उसमें 29 दुकानदार आ रहे हैं। अभी 3 दिन पहले तहसीलदार साहब ने आकर बोला कि 3 दिन में दुकानें खाली कर दो। यह कोई तरीका नहीं होता है। न आज तक हमको कोई नोटिस दिया, न हमें कोई सूचना दी। आपने मकान का अधिग्रहण किया, मुआवजा मकान मालिक को मिला। हम 50-50 सालों से यहां किराएदार हैं। हमारी आजीविका जुड़ी हुई है। आज 30 दुकानों पर कम से कम डेढ़ सौ लोग काम करते हैं। डेढ़ सौ परिवारों की आजीविका का प्रश्न है। पहले भी सहानुभूतिपूर्वक यहां विचार होता आया है। पहले हार फूल वाले सड़क पर बैठते थे। उनके प्रति सहानुभूति दिखाते हुए पुस्तक उद्यान हटाकर उन्हें गुमटियां बना कर दी गई। बाद में जब आवश्यकता पड़ी तो और जगह ली। तो गुमटियों के बदले उन्हें पक्की दुकानें बना कर दी गई। फिर आपको उस जगह की और आवश्यकता पड़ी, तो आपने दुकानें भी तोड़ कर उन्हें तीसरी जगह दुकानें दी। अभी भी जब उस जगह की आपको आवश्यकता पड़ी तो दुकानें तोड़ रहे हैं तो उन्हें आश्वस्त किया है। कोर्ट में भी इस बारे में निर्णय हुआ है कि आप उन्हें कहीं भी विस्थापित करेंगे।
जब सब को हटा दिया तो भक्त निवास क्यों छोड़ दिया..?
एक सड़क पर बैठने वाले हार फूल वालों को आप चार – चार बार दुकानें बनाकर दे रहे हैं। हम लोग तो दुकानदार हैं। प्रशासन ने पीछे अंजना भारती जी के आश्रम का अधिग्रहण किया। महाकाल मंदिर के आसपास मुस्लिम समाज के कम से कम डेढ़ सौ मकानों का अधिग्रहण किया। महानिर्वाणी भूमि के अखाड़े तथा वीरभद्र अखाड़े का अधिग्रहण किया। अब आप इन दुकानों का अधिग्रहण करने जा रहे हैं, तो पक्षपातपूर्ण तरीके से। बीच में जो एक भवन बना हुआ है भक्त निवास या भारत माता मंदिर के नाम से उसको क्यों छोड़ा जा रहा है? जब आप सब तरह की जगह ले रहे हो तो उसे क्यों छोड़ रहे हैं ? वहां भी व्यवसायिक गतिविधियां संचालित हो रही है। वहां कोई धार्मिक गतिविधियां या दया या कोई परोपकार का काम नहीं हो रहा है। वहां भी व्यावसायिक गतिविधियां चल रही है। उसको क्यों छोड़ा जा रहा है? यह भी कहीं न कहीं हमारे आक्रोश का कारण है। मुसलमान की बस्ती जब हटाई तो आपने कहा कि यह अतिक्रमण है। बावजूद इसके आपने सब को तीन-तीन लाख रुपया मुआवजा दिया। हार फूल व मंदिर वालों के साथ आरएसएस के भक्त निवास के प्रति आप सहानुभूति दिखा रहे हैं। 11 मकान के जो 29 दुकानदार प्रभावित हो रहे हैं। जब आप सब तरह की जगह ले रहे हैं तो भक्त निवास को क्यों छोड़ रहे हैं? 11 मकान के जो 29 दुकानदार प्रभावित हो रहे हैं उनके प्रति आपने सहानुभूति क्यों नहीं दिखाई?
हम हटने को तैयार, पर हमारा भी विस्थापन किया जाए
हमसे आज तक विस्थापन की कोई चर्चा नहीं की। हम हटने को तैयार हैं। हमें कहीं भी जहां मार्केट बनेगा वहां दुकान दे दें। हमें भी विस्थापित कर दें। हम महाकाल मंदिर के विकास में बाधा नहीं बनना चाहते, पर हम जो कर रहे हैं तो अन्य लोग भी नैतिकता दिखाएं। 11 मकानों में मेरी दुकान है और 70 मीटर के दायरे में जो हैं उसमें भी कई लोग प्रभावित हो रहे हैं। जब आप मंदिर की तीन भुजा महाराज बाड़ा, भक्त निवास और पीछे त्रिवेणी सेंटर जो खाली पड़ा हुआ है वहां आप कुछ नहीं कर रहे हैं और आवासीय बस्ती को उजाड़ कर इस तरह से विकास कर रहे हैं। मैं नहीं मानता। विस्थापन की कार्रवाई और विश्वास जरूरी है। प्रभावित पक्ष को विश्वास में लिए बिना किसी भी प्रकार की कार्यवाही अनुचित होगी। मंदिर का काम है, किसी का निजी काम नहीं है। आप धार्मिक काम करने जा रहे हैं तो लोगों को परेशान और प्रताड़ित करके किस आधार पर कर रहे हैं। यह समझ से परे है। यह हमारी पीड़ा है, क्योंकि हमारी रोजी-रोटी प्रभावित हो रही है। अंतिम क्षण तक हम लड़ाई लड़ेंगे। हमें विश्वास में लिया जाए। हमारी बात सुनी जाए। हमारे लिए रास्ता निकाला जाए। इसके बाद काम किया जाए। मंदिर के विकास में हमें कोई आपत्ति नहीं है।
दुकान के बदले दुकान दी जाए , वह भी मंदिर के आसपास
एक अन्य दुकानदार प्रभात शर्मा ने बताया कि शासन द्वारा महाकाल विस्तारीकरण योजना के अंतर्गत महाकाल मंदिर के सामने के 11 मकान का अधिग्रहण कर लिया है। कुछ लोगों को मुआवजा खाते में आ गया है। कुछ के आना बाकी है। हमारा शासन से यही निवेदन है कि मकान मालिक जो हैं उन्हें तो मुआवजा मिल जाएगा, लेकिन पिछले 50 – 60 साल से जो दुकानदार दुकान कर रहे हैं, जिनकी 3-4 पीढ़ियां इसी दुकान पर काम करते निकल गई है और आगे का भविष्य दुकान पर ही है। उसके लिए प्रशासन ने क्या व्यवस्था की है? जिलाधीश महोदय से जब इस विषय पर चर्चा की गई तो वे कहते हैं कि हमने आपके बारे में सोच रखा है। पर हमें किसी भी प्रकार का कोई लिखित आश्वासन नहीं दिया गया है। अगर तोड़फोड़ होती है तो इससे पूर्ण रूप से बेरोजगार हो जाएंगे और खाने तक के लाले पड़ जाएंगे। प्रशासन से हमारा निवेदन है कि विकास के लिए उनसे उनके साथ हैं, लेकिन हमें दुकान के बदले दुकान का जो प्रावधान है, उसके अनुसार दुकान दी जाए। मंदिर के आसपास ही दी जाए। प्रशासन से निवेदन है और हमें लिखित में दिया जाए कि आपको दुकान दी जाएगी। सुनने में आया है कि जो 70 मीटर योजना है प्रशासन की उसके अंतर्गत धारा 11 का नोटिस जारी हो चुका है। इसके अंतर्गत 2 महीने में आपत्ति का निराकरण किया जाएगा। इसके बाद धारा 21 के तहत 70 मीटर तक अधिग्रहण किया जाएगा। 70 मीटर के अंदर 152 लोग प्रभावित होंगे। तकरीबन 5000 लोग व्यवसाय के अंदर प्रभावित होंगे।
70 मीटर चौड़ीकरण के लिए 13 हजार वर्गमीटर अधिग्रहण होगा
महाकाल मंदिर विस्तार करने के लिए मंदिर के नजदीक 13 हजार वर्गमीटर से अधिक जमीन अधिग्रहित की जाना है। जिला प्रशासन महाकाल मंदिर के नजदीक 70 मीटर के दायरे में भूमि अधिग्रहित करेगा। कलेक्टर आशीषसिंह ने बताया कि इस सम्बन्ध में प्रारम्भिक अधिसूचना जारी कर दी गई है। साथ ही भूमि अर्जन पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन के तहत मुआवजा दिया जा चुका है। श्री महाकालेश्वर मन्दिर में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या, भीड़ प्रबंधन व आगन्तुक श्रद्धालुओं को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए यह अधिग्रहण किया जा रहा है। महाकाल मन्दिर के नजदीक महाकाल चौराहे के बीच 70 मीटर के दायरे में विस्तारीकरण किया जायेगा।भूमि अर्जन पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत धारा-11 के तहत अधिसूचना का प्रकाशन कर दिया है। उक्त प्रस्ताव के माध्यम से 70 मीटर दायरे में 13145 वर्गमीटर भूमि एवं इस पर स्थित 152 मकानों का अधिग्रहण किया जायेगा।